जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम को पक्ष ने सराहा। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा।
लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर हुई चर्चा का जवाब देना शुरू कर दिया है। संसद सदस्यों पर चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह बात रख रहे हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जहां तक केंद्र शासित राज्य का सवाल है तो मैं देश और मुख्य रूप से घाटी के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने में हमें कोई संकोच नहीं होगा।
शाह ने कहा कि यहां उपस्थित एक दो लोगों के अलावा किसी ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध नहीं किया। वो भी चाहते हैं कि 370 हट जाए, लेकिन उनके सामने वोटबैंक का प्रश्न आ जाता है। देश का बच्चा-बच्चा बोलता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हम ये क्यों नहीं बोलते कि यूपी देश का अभिन्न अंग है, तमिलनाडु देश का अभिन्न अंग है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि 370 ने इस देश और दुनिया के मन में एक शंका पैदा कर दी थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या नहीं। 370 हटाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वह देश की संसद के महत्व को कम करता है। देश का कानून वहां तक नहीं पहुंचता है। जिसकी वजह से पाकिस्तान वहां के लोगों के मन में अलगाववाद को बढ़ाता है। जब भारत-पाकिस्तान ने UN के प्रस्ताव को स्वीकार किया तब किसी भी देश की सेना को सीमाओं के उल्लंघन का अधिकार नहीं था।
लेकिन 1965 में पाकिस्तान की ओर से सीमा का उल्लंघन करने पर यह प्रस्ताव खारिज हो गया था। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में पहुंचे।उनके आते ही भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों के सांसदों ने खड़े होकर 'वंदे मातरम' के नारे लगाए।
विपक्ष ने नारों पर आपत्ति जताई तो गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, "विपक्ष को यहां नारे लगाने पर आपत्ति है, ऐसे नारे पूरे देश में लग रहे हैं।" शाह ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री की दृढ़ इच्छाशक्ति की तारीफ़ करता हूं। उनके कारण 370 का कलंक हटा है जो वोट बैंक के लालच के कारण अब तक नहीं हट पाया था।"
शाह ने कहा, "370 जम्मू कश्मीर के संबंध में अस्थायी उपबंध है। इसे हटाने की ज़रूरत इसलिए है क्योंकि यह देश की संसद के अधिकारों को जम्मू-कश्मीर में कम करता है। इस कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों में अलगाववाद होता है।
देश का क़ानून वहां की विधानसभा की सहमति के बिना वहां नहीं पहुंच सकता, जबकि 371 देश के अन्य राज्यों को विकासात्मक कार्यों के लिए, उनकी समस्याओं को निपटाने के अधिकार देता है। यह देश एकता की एकता और अखंडता के लिए बाधक नहीं है, इसे क्यों हटाएंगे? संबंधित राज्य आश्वस्त रहें, इसे हटाने का हमारा कोई इरादा नहीं।"