भोपाल: भाजपा की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मोदी सरकार द्वारा मंगलवार को संसद में पेश किये गये महिला आरक्षण विधेयक पर कहा कि वह इस बात से बेहद निराश हैं कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की महिलाओं के लिए अलग से कोटे की व्यवस्था नहीं की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने मांग की कि महिला कोटे की आधी सीटें एससी/एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित की जाएं और मुस्लिम समुदाय की पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी इसका लाभ मिलना चाहिए। इससे पहले दिन में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया गया था। इसमें प्रस्ताव है कि आरक्षण 15 साल तक जारी रहेगा और एससी/एसटी के लिए आरक्षित सीटों में महिलाओं के लिए भी एक तिहाई कोटा होगा।
भाजपा नेता भारती ने कहा, "मुझे खुशी है कि महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया, लेकिन मैं कुछ हद तक निराश महसूस कर रही हूं क्योंकि यह ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण के बिना आया है। अगर हम ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो भाजपा में उनका विश्वास टूट जाएगा।"
भाजपा में पिछड़े नेताओं की अगुवाई करने वाली उमा भारती ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, "विधायिका में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण एक विशेष प्रावधान है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस 33 प्रतिशत में से 50 प्रतिशत एससी/एसटी और ओबीसी समुदाय की महिलाओं के लिए आरक्षित हो।"
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पंचायती राज और स्थानीय निकायों में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए पहले ही विशेष आरक्षण का प्रावधान है। ऐसे में अगर उन्हें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अलग आरक्षण नहीं मिलता है तो यह उनके साथ अन्याय होगा।
उमा भारती ने यह भी मांग की कि मंडल आयोग द्वारा पहचाने गए मुस्लिम समुदाय में पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए एक प्रावधान हो।
उमा भारती ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "''मुझे निराशा हुई क्योंकि पिछड़े वर्ग की महिलाओं को जो मौका मिलना चाहिए था वह उन्हें नहीं दिया गया। जब ओबीसी के लिए कुछ करने का समय आया, तो हम पीछे हट गए। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी इसका ध्यान रखेंगे। मैंने सुबह प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है।"