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भाजपा का दामन थामने के बाद क्या नीतीश कुमार को उनके ही गढ़ में चुनौती देंगे आरसीपी सिंह? जानें मामला

By एस पी सिन्हा | Updated: May 11, 2023 16:41 IST

पूर्व केंद्रीय मंत्री व जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के द्वारा भाजपा का दामन थाम लिए जाने के बाद यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके गढ़ नालंदा में ही आरसीपी से चुनौती मिलेगी।

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ठळक मुद्देआरसीपी सिंह खुद कुर्मी समाज से आते हैं, जिस समाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं।लिहाजा भाजपा को लगता है कि नीतीश कुमार के सामाजिक समीकरण में सेंधमारी की कोशिश सफल हो पाएगी।नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह ने पिछले साल जदयू से इस्तीफा दे दिया था।

पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री व जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के द्वारा भाजपा का दामन थाम लिए जाने के बाद यह तय हो गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके गढ़ नालंदा में ही आरसीपी से चुनौती मिलेगी। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि अगले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के गृह जिले जो कि आरसीपी सिंह का भी गृह ज़िला है नालंदा, वहां से उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जा सकता है। 

आरसीपी सिंह खुद कुर्मी समाज से आते हैं, जिस समाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं। लिहाजा भाजपा को लगता है कि नीतीश कुमार के सामाजिक समीकरण में सेंधमारी की कोशिश सफल हो पाएगी। बता दें कि नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह ने पिछले साल जदयू से इस्तीफा दे दिया था। आरसीपी सिंह को पिछले साल जब राज्यसभा में नहीं भेजा गया तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल से उनकी विदाई के बाद से ही वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ हमलावर रहे। आरसीपी सिंह की नाराजगी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लेकर भी रही है। पिछले अगस्त महीने में बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद जब नीतीश कुमार ने भाजपा से अलग होने का फैसला किया। तब से ही आरसीपी सिंह की भाजपा के साथ नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं। 

आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके करीबी लोगों के खिलाफ लगातार आग उगला और पूरे बिहार के अलग-अलग जिलों में जाकर दौरा किया। आरसीपी सिंह ने खासतौर से जदयू में अपने समर्थकों के बीच जाकर नीतीश कुमार के खिलाफ मुहिम चलाने की पूरी कोशिश की। 

उनकी कवायद थी कि किसी भी तरह नीतीश कुमार को एक्सपोज किया जाए और यह दिखाया जाए कि राजद के साथ उनका मिलना केवल प्रधानमंत्री बनने की लालसा को लेकर है। वहीं, दूसरी तरफ भाजपा हाल ही में जदयू से उपेंद्र कुशवाहा की बगावत के बाद उन्हें एनडीए में लाने की कोशिश कर रही है। 

सम्राट चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ऐसे में सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा के बहाने भाजपा कुश समीकरण को भी साथ में लेने में लगी है। पार्टी आलाकमान की पूरी कोशिश है कि नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण को पूरी तरह से ध्वस्त किया जाए और इसके लिए सम्राट चौधरी, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह बेहतर विकल्प हो सकते हैं।

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