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कभी भी ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे जिससे मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा को नुकसान पहुंचे: केरल सरकार

By भाषा | Updated: November 8, 2021 16:51 IST

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तिरुवनंतपुरम, आठ नवंबर मुल्लापेरियार जलाशय में ‘बेबी’ बांध के निचले इलाके के 15 पेड़ों को काटने की अनुमति देने संबंधी केरल सरकार के विवादास्पद आदेश को लेकर राज्य विधानसभा मे सोमवार को शोर-शराबा हुआ और विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इस मुद्दे की न्यायिक जांच की मांग की तथा बाद में सदन से बहिर्गमन किया। वहीं दूसरी ओर केरल सरकार ने आज स्पष्ट किया कि वह कभी भी ऐसा कोई निर्णय नहीं लेगी जो मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा को खतरे में डाले या राज्य के लोगों की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाये ।

सरकार ने सदन को बताया, ‘‘केरल के लिए सुरक्षा और तमिलनाडु के लिए पानी’’ मुल्लापेरियार मुद्दे में राज्य सरकार की घोषित नीति है और वह इस रूख से कभी भी पीछे नहीं हटेगी।’’

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने कहा कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा पांच नवंबर को जारी किया गया आदेश, मुल्लापेरियार मुद्दे पर राज्य द्वारा अपनाए गए रूख का उल्लंघन है।

हालांकि, सरकार ने आश्वासन दिया कि राज्य के हितों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने का कोई सवाल ही नहीं है और कहा कि इस मुद्दे पर उसकी मजबूत स्थिति मुल्लापेरियार मामले के संबंध में उच्चतम अदालत में दायर जवाबी हलफनामे में स्पष्ट की गई थी।

केरल सरकार ने मुल्लापेरियार जलाशय में बेबी बांध के रास्ते में 15 पेड़ों को काटे जाने के लिए वन विभाग द्वारा दी गयी अनुमति पर रविवार को रोक लगा दी थी तथा उन अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने का फैसला किया जिन्होंने यह आदेश दिया था। इसके एक दिन बाद पिनराई विजयन सरकार का यह स्पष्टीकरण आया है।

इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव की मांग वाले नोटिस का जवाब देते हुए वन मंत्री एके शशिंद्रन ने कहा कि सरकार इस संबंध में राज्य के हितों के खिलाफ लिए गए नौकरशाही के फैसले को कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु जल संसाधन विभाग के मुख्य कार्यकारी अभियंता ने बेबी बांध स्थल के पास से 23 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘केरल के लिए सुरक्षा और तमिलनाडु के लिए पानी मुल्लापेरियार मुद्दे में राज्य सरकार की घोषित नीति है। राज्य विधानसभा ने इस संबंध में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था। इस रूख से पीछे नहीं हटा जायेगा।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उन परिस्थितियों की जांच कर रही है जिसके कारण पड़ोसी राज्य को बांध स्थल से पेड़ गिराने की अनुमति देने का आदेश जारी किया गया, जो सरकारी रुख का उल्लंघन है।

शशिंद्रन ने कहा कि विवादास्पद आदेश छह नवंबर को सरकार के संज्ञान में आया था। उन्होंने कहा कि छुट्टी होने के बावजूद अगले दिन ही इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की गई थी। उन्होंने कहा कि केरल सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में बांध स्थल के पास पेड़ काटने के पड़ोसी राज्य के अनुरोध की अनुमति नहीं देने के कारणों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था।

मंत्री ने कहा कि केरल सरकार शीर्ष अदालत में लंबित मामलों में एक नए बांध के निर्माण के लिए अपने रुख पर अड़ी हुई है।

इससे पहले कांग्रेस विधायक एवं पूर्व गृह मंत्री तिरुवन्चूर राधाकृष्णन ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश करना चाहा और कहा कि सदन अन्य कामकाज को रोक कर इस पर चर्चा करे।

हालांकि विधानसभा अध्यक्ष एम बी राजेश ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव की मांग नहीं करने का सुझाव दिया लेकिन विपक्ष अपने रुख पर अड़ा रहा। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यह एक ‘‘गंभीर मामला’’ है। न्यायिक जांच की मांग के अलावा, कांग्रेस नीत यूडीएफ विपक्ष यह भी जानना चाहता था कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने आदेश अभी तक रद्द क्यों नहीं किया।

नोटिस का जवाब देते हुए राज्य के वन मंत्री एके शशिंद्रन ने कहा कि सरकार इस संबंध में राज्य के हितों के खिलाफ की गई नौकरशाही की कार्रवाई कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘केरल के लिए सुरक्षा और तमिलनाडु के लिए पानी मुल्लापेरियार मुद्दे पर राज्य सरकार की घोषित नीति है। राज्य विधानसभा ने इस संबंध में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था। इस रुख में कोई बदलाव नहीं होगा।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार उन परिस्थितियों की जांच कर रही है जिसके तहत सरकारी रुख का उल्लंघन करते हुए पड़ोसी राज्य को बांध स्थल से पेड़ काटने की अनुमति देने का आदेश जारी किया गया।

अध्यक्ष ने मंत्री के जवाब के आधार पर प्रस्ताव के लिए अनुमति को खारिज कर दिया और इसके बाद विपक्ष ने अपना विरोध दर्ज कराते हुए सदन से बहिर्गमन किया।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने पेड़ों की कटाई की अनुमति देने को लेकर केरल के अपने समकक्ष पिनराई विजयन को धन्यवाद दिया था।

शशिंद्रन ने यहां मीडिया से कहा था कि यह आदेश ‘असामान्य’ था तथा प्रधान वन (वन्यजीव) संरक्षक एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन की ओर से गंभीर चूक है जिन्होंने मंजूरी संबंधी आदेश जारी किया था।

शशिंद्रन ने इससे पहले कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय, सिंचाई मंत्री के कार्यालय या उनके कार्यालय की जानकारी के बगैर ही यह आदेश जारी किया गया था।

स्टालिन ने रविवार को मुल्लापेरियार में बेबी बांध के अनुप्रवाह में 15 पेड़ों को काटे जाने के लिए अनुमति दिये जाने को लेकर विजयन को धन्यवाद दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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