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कोरोना वैक्सीन पर क्यों छिड़ा है विवाद, जानें आखिर क्या है पूरा माजरा

By एसके गुप्ता | Updated: January 4, 2021 20:47 IST

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्द्धन ने लगातार कई ट्वीट कर सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि इस तरह के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करना किसी के लिए भी शर्मनाक है।

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ठळक मुद्देकोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी (ईयूए) शर्तिया आधार पर दी गई है।कोवैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को ट्रैक किया जाएगा उनकी मॉनिटरिंग होगी अगर वे ट्रायल में हैं।

कोरोना वायरस से बचाव के लिए बहुप्रतीक्षित वैक्सीन को अनुमति मिलने के साथ सवाल उठ रहे हैं कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन के फेज-3 ट्रायल आंकड़े जारी किए बिना इन्हें अनुमति कैसे दे दी गई। तीसरे ट्रायल में बड़ी संख्या में लोगों पर वैक्सीन को टेस्ट किया जाता है और उसे आए परिणाम से तय होता है कि दवा कितने फीसदी लोगों पर असर कर रही है।

कोविशील्ड के भारत में 1,600 वॉलंटियर्स पर हुए फ़ेस-3 ट्रायल के आँकड़ों को भी जारी नहीं किए गए। कोवैक्सीन के फ़ेस एक और दो के ट्रायल में 800 वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल हुआ था जबकि फेज-3 में 22,500 लोगों पर ट्रायल की बात कही गई है। लेकिन इसके आंकड़े जारी नहीं किए गए। जिससे विपक्ष और कई स्वास्थ्यकर्मियों ने इन दोनों वैक्सीन के अप्रूवल पर सवाल खड़े किए हैं।

शशि थरूर, अखिलेश यादव और जयराम रमेश कोविड-19 वैक्सीन को अनुमति देने के लिए विज्ञान समर्थित प्रोटोकॉल का पालन किया गया है जिसको बदनाम न करें। जागिए और महसूस करिए कि आप सिर्फ़ अपने आप को बदनाम कर रहे हैं। पूरी दुनिया में जिन एनकोडिंग स्पाइक प्रोटीन के आधार पर वैक्सीन को अनुमति दी जा रही है, जिसका असर 90 फ़ीसदी तक है। 

वहीं कोवैक्सीन में निष्क्रिय वायरस के आधार पर स्पाइक प्रोटीन के अलावा अन्य एंटीजेनिक एपिसोड होते हैं तो यह सुरक्षित होते हुए उतनी ही असरदार है जितना बाक़ियों ने बताया है। कोवैक्सीन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट पर भी असरदार है। कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंज़ूरी (ईयूए) शर्तिया आधार पर दी गई है। जो अफ़वाहें फैला रहे हैं वे जान लें कि क्लीनिकल ट्रायल मोड में कोवैक्सीन के लिए ईयूए सशर्त दिया गया है। कोवैक्सीन को मिली ईयूए कोविशील्ड से बिलकुल अलग है क्योंकि यह क्लीनिकल ट्रायल मोड में इस्तेमाल होगी। कोवैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को ट्रैक किया जाएगा उनकी मॉनिटरिंग होगी अगर वे ट्रायल में हैं।

विशेषज्ञों के तर्क और दावे :

हालांकि वैक्सीन विवाद पर दिल्ली एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि वो आपातकालीन स्थिति में कोवैक्सीन को एक बैकअप के रूप में देखते है, फ़िलहाल कोविशील्ड मुख्य वैक्सीन के रूप में इस्तेमाल होगी। भारत बायोटैक के चेयरमैन कृष्ण इल्ला ने कहा है कि हमारा लक्ष्य उन आबादी तक वैश्विक पहुंच प्रदान करना है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। कोवैक्सीन ने अद्भुत सुरक्षा आँकड़े दिए हैं। जिसमें कई वायरल प्रोटीन ने मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दी है।

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