क्या है ‘शिव और शक्ति’?, भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग को दे रहे आकार!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 3, 2025 19:26 IST2025-05-03T19:25:33+5:302025-05-03T19:26:28+5:30

Historic Breakthrough: निर्माण स्थल पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि टीबीएम ‘शिव’ से इस वर्ष जून में दूसरी सुरंग का काम भी पूरा होने की उम्मीद है।

who is Shiva and Shakti Historic Breakthrough India's Longest Rail Tunnel Achieved At 14-57 km Himalayan task finish line Germany shape  | क्या है ‘शिव और शक्ति’?, भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग को दे रहे आकार!

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Highlightsखुदाई ‘शक्ति’ नामक सुरंग बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा की गई। सफलता के लिए उनके आशीर्वादों को प्राप्त करने का एक तरीका था।सावधानीपूर्वक प्रयासों और काम से इसे बचा लिया गया।

नई दिल्लीः हिमालय में सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजनाओं में से एक, उत्तराखंड में निर्माणाधीन भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग को जर्मनी में बनी सुरंग खोदने वाली मशीनें ‘शिव और शक्ति’ आकार दे रही हैं। इन मशीनों का नाम हिंदू देवताओं के नाम पर शिव और शक्ति रखा गया है - जो ‘देवभूमि’कहे जाने वाले राज्य की आध्यात्मिक विरासत से प्रेरित है। देवप्रयाग-जनसू जुड़वां सुरंगें हैं जो एक दूसरे से 25 मीटर की दूरी पर समानांतर चलती हैं। करीब 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल संपर्क परियोजना की 14.57 किलोमीटर लंबी सुरंगों में से एक सुरंग को 16 अप्रैल को सफलतापूर्वक पूरा किया गया था, जिसकी खुदाई ‘शक्ति’ नामक सुरंग बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा की गई। निर्माण स्थल पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि टीबीएम ‘शिव’ से इस वर्ष जून में दूसरी सुरंग का काम भी पूरा होने की उम्मीद है।

परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि पर्वतीय रेल परियोजना में पहली बार टीबीएम के उपयोग के लिए न केवल वृहद पैमाने पर कोशिश बल्कि विस्तृत योजना की भी आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि इसके साथ दैवीय कृपा की भी जरूरत थी और इस संदर्भ में टीबीएम का नाम देवताओं के नाम पर रखना परियोजना की सफलता के लिए उनके आशीर्वादों को प्राप्त करने का एक तरीका था।

सुरंग का निर्माण करने वाली अवसंरचना कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों को साझा करते हुए पहले कहा था कि ऐसे क्षण भी आए जब ऐसा लगा कि सुरंग ढह जाएगी और पूरी परियोजना खतरे में पड़ जाएगी, लेकिन फिर उनके सावधानीपूर्वक प्रयासों और काम से इसे बचा लिया गया।

निर्माण विशेषज्ञों ने कहा कि सुरंग खोदने वाली मशीन का नामकरण सभी बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में एक सामान्य प्रथा है। उन्होंने कहा कि अक्सर, इसको लेकर बहुत मंथन किया जाता है ताकि नाम परियोजना के कामकाजी माहौल के साथ अच्छी तरह से मेल खा सके। हिंदू धर्म में भगवान शिव को सर्वशक्तिमान देवता के रूप में पूजा जाता है।

और शक्ति को शिव की पत्नी पार्वती के रूप में माना जाता है जिन्हें मातृ शक्ति का प्रतीक माना जाता है। एक निर्माण विशेषज्ञ ने बिना कोई कारण बताए कहा, ‘‘सुरंग खोदने वाली मशीनों का नाम अलग-अलग पुरुष और महिला के नाम पर रखना काफी दुर्लभ है। आमतौर पर, टीबीएम को पारंपरिक रूप से महिला नाम दिए जाते हैं।’’

एलएंडटी के अधिकारियों ने बताया कि जर्मन कंपनी हेरेनक्नेच एजी को दो टीबीएम का ऑर्डर देते समय इन मशीन को नाम देने को लेकर काफी मंथन किया सुरंग के परियोजना निदेशक राकेश अरोड़ा ने बताया, ‘‘हमने दो टीबीएम के नामकरण की प्रक्रिया में वरिष्ठ अधिकारियों और कार्य स्थल पर मौजूद सभी कर्मचारियों को शामिल किया और भारतीय देवताओं ‘शिव और शक्ति’ के नाम पर दो नामों को अंतिम रूप देने से चार दिन पहले हमें बहुत सारे सुझाव मिले।’’

अरोड़ा ने कहा कि चूंकि उत्तराखंड को अनेक हिंदू तीर्थ स्थलों, पवित्र मंदिरों और नदियों की उपस्थिति के कारण ‘देवभूमि’ के रूप में जाना जाता है, इसलिए इन विषयों पर बहुत सारे सुझाव आए। अरोड़ा ने कहा, ‘‘शुरू में कुछ सदस्यों ने यह विचार रखा था कि इनका नाम दो पवित्र नदियों - अलकनंदा और भागीरथी के नाम पर रखा जाए, क्योंकि ये दोनों नदियां सुरंग के करीब से बहती हैं।

कुछ लोगों ने इन्हें बदरी और केदार नाम देने का भी सुझाव दिया, क्योंकि यहां दो सबसे प्रतिष्ठित मंदिर हैं - बदरीनाथ और केदारनाथ हैं, जहां लाखों श्रद्धालु आते हैं।’’ उन्होंने याद किया कि सभी को जो नाम सबसे अच्छे लगे, वे थे शिव और शक्ति, जो रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के तत्कालीन मुख्य परियोजना प्रबंधक हिमांशु बदायूंनी द्वारा सुझाए गए थे।

Web Title: who is Shiva and Shakti Historic Breakthrough India's Longest Rail Tunnel Achieved At 14-57 km Himalayan task finish line Germany shape 

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