जस्टिस शरद अरविंद बोबडे को भारत का 47वां चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। जस्टिस बोबडे 63 साल के हैं और 18 नवम्बर को सीजेआई पद की शपथ ग्रहण करेंगे। इससे एक दिन पहले, 17 नवंबर को उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस बोबडे 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगे।
नागपुर से है जस्टिस बोबडे का नाता
महाराष्ट्र के नागपुर में 24 अप्रैल 1956 को जन्में जस्टिस बोबडे ने नागपुर विश्वविद्याल से ही बीए की डिग्री हासिल की और फिर एलएलबी भी उन्होंने यहीं से की। उन्होंने 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल के सदस्य बने और फिर बंबई हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की। वह 20 मार्च, 2000 को बंबई हाई कोर्ट में एडिशनल जज बने और फिर उन्होंने 16 अक्टूबर, 2012 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज उन्होंने अपना कार्यकाल 12 अप्रैल, 2013 से शुरू किया। उन्हें 23 अप्रैल, 2021 को रिटयर होना है।
जस्टिस बोबडे ने इन अहम केसों में की सुनवाई
1. चीफ जस्टिस गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला: इसी साल आये इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की। इसमें जस्टिस बोबडे सहित जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल थीं। सुप्रीम कोर्ट पैनल ने चीफ जस्टिस के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की और उन्हें क्लीन चिट दिया गया।
2. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद: इस बेहद पुराने विवाद की सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की बेंच द्वार की गई सुनवाई में जस्टिस बोबडे भी शामिल रहे। इस मामले पर फैसले का सभी को इंतजार है और माना जा रहा है कि अगले महीने फैसला आ सकता है। जस्टिस बोबडे के साथ-साथ चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी इस पीठ के सदस्ये हैं।
3. आधार पर बड़ा फैसला: जस्टिस बोबडे सहित जस्टिस चेलमेश्वर और चोकालिंगम नागपन ने इस मामले में सुनवाई की। इस बेंच ने फैसला दिया कि किसी भी भारतीय नागरिक को केवल इस आधार पर सामान्य सेवाओं और सरकारी अनुदानों से वंचित नहीं रखा जा सकता कि उसके पास आधार कार्ड नहीं है।
4. पटाखों की बिक्री पर रोक: यह मामला 2016 का है जब सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को देखते हुए पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला सुनाया। इस मामले की जस्टिस बोबडे सहित जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस अर्जन कुमार सिकरी की तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की थी।
5. गर्भपात कराने की याचिका पर फैसला: ये मामला 2017 का है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 37 साल की एक महिला के 23 हफ्ते के गर्भ को गिराने की याचिका को खारिज किया। इस मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच ने की थी। जस्टिस बोबडे के अलावा जस्टिस एल नागेश्वर राव ने इस मामले में सुनवाई की थी।