कौन हैं पलक शर्मा?, 38वीं राष्ट्रीय खेलों में चमका सितारा, सोने की बारिश

By मुकेश मिश्रा | Updated: May 28, 2025 15:29 IST2025-05-28T15:24:58+5:302025-05-28T15:29:02+5:30

कहावत पलक पर बिल्कुल सटीक बैठती है। सिर्फ 12 बरस की कच्ची उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती।

Who is Palak Sharma star shines 38th National Games, rain of gold indore madhya pradesh Golden saga written water to pages | कौन हैं पलक शर्मा?, 38वीं राष्ट्रीय खेलों में चमका सितारा, सोने की बारिश

कौन हैं पलक शर्मा?, 38वीं राष्ट्रीय खेलों में चमका सितारा, सोने की बारिश

Highlightsपलक की यह कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा की मिसाल बन चुकी है।"कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती" की मिसाल पेश की है।आयोजित 38वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पलक ने अपना जलवा बिखेरा।

इंदौरः जब इंदौर की छोटी सी बालिका पलक शर्मा ने पहली बार स्विमिंग पूल में छलांग लगाई थी, तब शायद ही किसी ने सोचा हो कि यही छलांग एक दिन राष्ट्रीय खेलों के मंच पर स्वर्ण पदक में तब्दील हो जाएगी। लेकिन जैसा कि कहते हैं - "होनहार बिरवान के होत चीकने पात", पलक की यह कहानी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा की मिसाल बन चुकी है।

सामान्य शुरुआत, असाधारण सफर 

पलक शर्मा, इंदौर की रहने वाली एक साधारण परिवार की असाधारण बेटी हैं। महज 8 वर्ष की नन्हीं उम्र में गोताखोरी की दुनिया में कदम रखकर उन्होंने जल की लहरों को अपना साथी बना लिया। "जो चिड़िया अपने बल पर उड़ती है, वही ऊंचे आसमान को छूती है" - यह कहावत पलक पर बिल्कुल सटीक बैठती है। सिर्फ 12 बरस की कच्ची उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर उन्होंने साबित कर दिया कि प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती।

गुरु की छत्रछाया में खिला कमल 

"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय" - इस दोहे की तरह पलक की सफलता में उनके कोच  रमेश व्यास का योगदान अमूल्य है। उन्होंने पलक को न केवल तकनीकी बारीकियां सिखाईं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और अनुशासन का भी पाठ पढ़ाया। गुरु-शिष्य की इस जोड़ी ने मिलकर "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती" की मिसाल पेश की है।

38वीं राष्ट्रीय खेलों में चमका सितारा 

वर्ष 2025 की शुरुआत में उत्तराखंड में आयोजित 38वीं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पलक ने अपना जलवा बिखेरा। हाई बोर्ड और एक मीटर गोताखोरी में स्वर्ण पदक तथा तीन मीटर गोताखोरी में रजत पदक जीतकर उन्होंने "सोने पे सुहागा" वाली कहावत को चरितार्थ किया। यह सफलता केवल उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे इंदौर और मध्यप्रदेश के लिए "मान बढ़ाने" का कारण बनी।

सम्मान की बारिश में भीगी पलक

पलक की उपलब्धियों की गूंज देश-विदेश तक पहुंची है। 2021 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार और 2022 में मध्यप्रदेश का सर्वोच्च खेल सम्मान एकलव्य पुरस्कार पाकर उन्होंने "मेहनत का फल मीठा होता है" की कहावत को सच साबित किया। "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" अभियान की ब्रांड एंबेसडर बनना उनके लिए सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा का दीप जलाने जैसा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के शब्दों में, "पलक जैसी बेटियां प्रदेश की असली संपदा हैं। इनके जज्बे और मेहनत से आने वाली पीढ़ियों को राह मिलेगी।" यह वाक्य पलक की सफलता पर लगी "मुहर" की तरह है। पलक का मानना है कि "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।" वह कहती हैं, "जब मैं गोता लगाती हूं, तो मेरा मन शांत होता है, और मेरे भीतर की ऊर्जा मुझे ऊपर की ओर ले जाती है।

यही मेरा मंत्र है - खुद पर भरोसा और निरंतर अभ्यास।" पलक शर्मा की यह दास्तान सिर्फ पदकों की चमक नहीं, बल्कि उस आत्मविश्वास, साहस और निरंतर परिश्रम की गाथा है जो "असंभव को संभव" बना देती है। इंदौर की यह बेटी आज लाखों युवा खिलाड़ियों के लिए "जीवंत प्रेरणा" है - जो यह सिखाती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो पानी की गहराइयों से भी सफलता की ऊंचाइयों तक "उड़ान भरी" जा सकती है। जैसा कि कहते हैं - "जहां चाह, वहां राह" - पलक शर्मा ने इसे अपने जीवन में उतारकर दिखाया है कि सपने देखना और उन्हें साकार करना, दोनों ही संभव है।

Web Title: Who is Palak Sharma star shines 38th National Games, rain of gold indore madhya pradesh Golden saga written water to pages

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