Barhet Assembly seat: झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें सबसे हॉट सीट मानी जा रही बरहेट विधानसभा सीट पर टिकी हुई है। इस सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद चुनावी ताल ठोक रहे हैं। वहीं, भाजपा ने गमालियल हेम्ब्रम को मैदान में उतारा है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित बरहेट विधानसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ भाजपा के द्वारा कमजोर उम्मीदवार उतारे जाने का दावा किया जा रहा है। दरअसल, गमालियल हेम्ब्रम को राजनीति में आए हुए महज 5 साल हुए हैं। करीब 5 साल पहले उन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा था। उनकी पत्नी भी जनप्रतिनिधि हैं। बताया जा रहा है कि 5 साल पहले पारा शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखा।
गमालियल हेम्ब्रम को खेल से गहरा लगाव है। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन करने के लिए जाने जाते हैं। गमालियल हेम्ब्रम जिस टूर्नामेंट का आयोजन करते हैं, उसमें देश-विदेश के खिलाड़ी शामिल होते हैं। वर्ष 2019 में हेमंत सोरेन के खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। महज 25 साल की उम्र में उन्होंने बरहेट (एसटी) विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था।
उस वक्त हेमंत सोरेन इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के टिकट पर तब चुनाव लड़े थे। वर्ष 2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन को 73,725 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर मालतो रहे थे। उनको 47,985 वोट प्राप्त हुए थे। झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के उम्मीदवार होपना टुडू को 2,622 और आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले गमालियल हेम्ब्रम को 2,573 वोट मिले थे।
यह सीट झामुमो का अभेद्य किला मानी जाती है, जहां उसे हराना आसान नहीं होता। यहां 1957 से 1962 तक के चुनाव में झारखंड पार्टी के टिकट पर बाबूलाल टुडू चुनाव जीतते रहे। 1967 और 1972 में मसीह सोरेन ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर परमेश्वर हेम्ब्रम को जीत मिली थी।
इसके बाद 1980 और 1985 में कांग्रेस के थॉमस हांसदा क जीत मिली। 1990, 1995, 2000 और 2009 में चार बार झामुमो के टिकट पर हेमलाल मुर्मू ने चुनाव जीता। 2014 और 2019 में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन को जीत मिली थी।