जब मनमोहन सिंह ने दी थी विपक्ष को चुनौती, वाम दलों के समर्थन वापसी के बाद विश्वास प्रस्ताव का लिया था जोखिम
By विकास कुमार | Published: July 15, 2019 04:19 PM2019-07-15T16:19:53+5:302019-07-15T16:19:53+5:30
भारतीय राजनीति में सत्ता पक्ष को बहुमत की कसौटी पर परखने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल अक्सर किया जाता रहा है लेकिन देश में मनमोहन सिंह की सरकार ने भी एक बार विपक्ष को चुनौती देते हुए विश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल किया था.
भारतीय राजनीति में सत्ता पक्ष को बहुमत की कसौटी पर परखने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल अक्सर किया जाता रहा है लेकिन देश में मनमोहन सिंह की सरकार ने भी एक बार विपक्ष को चुनौती देते हुए विश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल किया था.
2008 में मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील करने का फैसला किया तो वामपंथी पार्टियों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. विपक्ष ने अपने सभी सांसदों के मौजूद रहने का फरमान भी जारी किया था.
भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील को बचाने के लिए मनमोहन सरकार का बचना जरूरी था. लेकिन सरकार ने यह जोखिम लिया और बहुमत भी साबित किया. यह भारतीय राजनीति की एक विचित्र घटना थी.
खैर, सरकार पर सांसदों को खरीदने के आरोप भी लगे और संसद में खुलेआम नोटों के बण्डल लहराए गए. भारतीय राजनीति में इसे वोट फॉर नोट कांड के नाम से जाना जाता है.
कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार को बीजेपी द्वारा बार-बार बहुमत सिद्ध करने की चुनौती दी जा रही है. यदि सरकार ने विधानसभा में बहुमत साबित नहीं किया तो बीजेपी नो कॉन्फिडेंस मोशन की मांग कर सकती है जिसे अविश्वास प्रस्ताव भी कहा जाता है.