Sengol New Parliament: क्या है ‘सेंगोल’, लंबाई 5 फीट, शीर्ष पर 'नंदी', जानें अभी कहां रखा गया है...

By सतीश कुमार सिंह | Updated: May 24, 2023 22:20 IST2023-05-24T19:04:06+5:302023-05-24T22:20:34+5:30

Sengol New Parliament: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को हस्तांतरित की गई सत्ता के प्रतीक ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।

What is ‘Sengol’ historic sceptre to be installed in new Parliament building Significance sceptre, first given to Nehru 28th May pm narendra modi | Sengol New Parliament: क्या है ‘सेंगोल’, लंबाई 5 फीट, शीर्ष पर 'नंदी', जानें अभी कहां रखा गया है...

‘सेंगोल’ अभी इलाहाबाद में एक संग्रहालय में है।

Highlightsप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को करेंगे।चोल राजा द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता था।‘सेंगोल’ अभी इलाहाबाद में एक संग्रहालय में है।

Sengol New Parliament: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि नए संसद भवन में एक प्रमुख स्थान पर ‘सेंगोल’ नामक सुनहरा राजदंड स्थापित किया जाएगा, जिसका उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को कर रहे हैं। हालांकि विपक्ष ने विरोध करने का फैसला किया है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की रात लगभग 10:45 बजे तमिलनाडु के अधिनाम के माध्यम से सेंगोल को स्वीकार किया था। चोल राजा द्वारा इसका इस्तेमाल किया जाता था। सेंगोल तमिल शब्द "सेम्मई" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "धार्मिकता।" एक पुजारी ने लॉर्ड माउंटबेटन को राजदंड दिया था और उन्होंने नेहरू को दिया।

1947 में मूल सेंगोल बनाने में शामिल रहे दो लोगों, 96 वर्षीय वुम्मिदी एथिराजुलु और 88 वर्षीय वुम्मिदी सुधाकर के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने की उम्मीद है। तमिल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस. राजावेलु ने कहा कि राजाओं के राज्याभिषेक का नेतृत्व करने और सत्ता के हस्तांतरण को पवित्र करने के लिए समयाचार्यों (आध्यात्मिक गुरुओं) के लिए यह एक पारंपरिक चोल प्रथा थी, जिसे शासक को मान्यता देने के तौर पर देखा जाता था।

उन्होंने कहा, ‘‘तमिल राजाओं के पास यह सेंगोल (राजदंड के लिए तमिल शब्द) था, जो न्याय और सुशासन का प्रतीक है। दो महाकाव्यों - सिलपथिकारम और मणिमेकलई - में सेंगोल के महत्व का उल्लेख किया गया है।’’ राजावेलु ने कहा कि संगम काल से ही ‘राजदंड’ का उपयोग खासा प्रसिद्ध रहा है।

उन्होंने कहा कि तमिल काव्य ‘तिरुक्कुरल’ में सेंगोल को लेकर एक पूरा अध्याय है। राजावेलु ने पीटीआई-भाषा को बताया कि प्राचीन शैव मठ थिरुववदुथुराई आदिनम मठ के प्रमुख ने नेहरू को 1947 में सेंगोल भेंट किया था। प्रमुख शैव मठों से जुड़े पी.टी. चोकलिंगम ने कहा, ‘‘यह हमारे राजाजी (सी राजगोपालाचारी, भारत के अंतिम गवर्नर जनरल) थे जिन्होंने नेहरू को आश्वस्त किया कि इस तरह के समारोह की आवश्यकता है क्योंकि भारत की अपनी परंपराएं हैं और संप्रभु सत्ता के हस्तांतरण की अगुवाई एक आध्यात्मिक गुरु द्वारा की जानी चाहिए।’’

14 अगस्त, 1947 को सत्ता के हस्तांतरण के समय, तीन लोगों को विशेष रूप से तमिलनाडु से लाया गया था - अधीनम के उप मुख्य पुजारी, नादस्वरम वादक राजरथिनम पिल्लई और ओथुवर (गायक) - जो सेंगोल लेकर आए थे और कार्यवाही का संचालन किया था।

तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के 2021-22 नीति नोट के अनुसार: ‘‘सिंहासन के समय, पारंपरिक गुरु या राजा के उपदेशक नए शासक को औपचारिक राजदंड सौंप देंगे।’’ इस परंपरा का पालन करते हुए, जब ओथुवमूर्तियों ने कोलारू पाथिगम-थेवारम से 11वें छंद की अंतिम पंक्ति का गायन पूरा किया, तो थिरुववदुथुरै अदीनम थंबीरन स्वामीगल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को सोने की परत चढ़ा चांदी का राजदंड सौंप दिया।

चेन्नई स्थित "वुम्मिदी बंगारू चेट्टी" ज्वैलर्स को सेंगोल के निर्माण का काम सौंपा। वुम्मिदी एथिराजुलु और वुम्मिदी सुधाकर ने बनाया। राजदंड की लंबाई पांच फीट है और शीर्ष पर एक 'नंदी' बैल है, जो न्याय का प्रतीक है। ‘सेंगोल’ अभी इलाहाबाद में एक संग्रहालय में है।

शाह ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

गृह मंत्री ने कहा कि नया संसद भवन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का उदाहरण है। लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास ‘सेंगोल’ को प्रमुखता से लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले 60,000 श्रमिकों (श्रम योगियों) को सम्मानित भी करेंगे।

गृह मंत्री ने कहा कि नया संसद भवन देश की विरासत और परंपराओं के साथ आधुनिकता को जोड़ने वाला नया भारत बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का प्रमाण है। शाह ने कहा कि ‘सेंगोल’ स्थापित करने का उद्देश्य तब भी स्पष्ट था और अब भी है। उन्होंने कहा कि सत्ता का हस्तांतरण महज हाथ मिलाना या किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना नहीं है।

इसे आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय परंपराओं से जुड़ा रहना चाहिए। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ प्राप्त किया था। ‘सेंगोल’ का इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तांतरित करने के लिए किया गया था।

इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद और कई अन्य लोगों की उपस्थिति में स्वीकार किया था। राजेंद्र प्रसाद बाद में देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। ‘सेंगोल’ शब्द तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नीतिपरायणता”।

‘न्याय’ के प्रेक्षक के रूप में, अपनी अटल दृष्टि के साथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी ‘सेंगोल’ के शीर्ष पर विराजमान हैं। ‘सेंगोल’ को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का ‘आदेश’ (तमिल में‘आणई’) होता है। उन्होंने कहा, ‘‘सेंगोल आज भी उसी भावना का प्रतिनिधित्व करता है जो जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 में महसूस की थी।’’

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