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पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावः ‘दागी’ नेता, भ्रष्टाचार के आरोपों या जनता में खराब छवि वाले प्रत्याशियों को टिकट नहीं, तृणमूल कांग्रेस ने की आंतरिक सर्वेक्षण!

By भाषा | Updated: September 4, 2022 15:19 IST

West Bengal Panchayat Elections: तृणमूल कांग्रेस ने दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और बीरभूम जिले के पार्टी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की क्रमश: शिक्षक भर्ती में कथित घोटाले और मवेशी तस्करी मामले में गिरफ्तारी के बार वृहद पैमाने पर ‘‘परिशोधन’’ अभियान चलाया है।

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ठळक मुद्देआई-पीएसी के प्रशांत किशोर से पिछले महीनों कराया गया सर्वेक्षण शामिल है।सभी स्तर के नेताओं की कार्यप्रणाली और व्यवहार का आकलन किया गया। 50 से 60 प्रतिशत से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों को दोबारा टिकट देने से मना किया जा सकता है।

कोलकाताः छवि सुधारने की कोशिश के तहत तृणमूल कांग्रेस अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले पंचायत चुनाव में ‘दागी’नेताओं, भ्रष्टाचार के आरोपों या जनता में खराब छवि वाले प्रत्याशियों को टिकट देने से इनकार कर सकती है।

तृणमूल कांग्रेस ने दो वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और बीरभूम जिले के पार्टी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल की क्रमश: शिक्षक भर्ती में कथित घोटाले और मवेशी तस्करी मामले में गिरफ्तारी के बार वृहद पैमाने पर ‘‘परिशोधन’’ अभियान चलाया है। पार्टी ने तीन आंतरिक सर्वेक्षण कराए हैं जिनमें से एक आई-पीएसी के प्रशांत किशोर से पिछले महीनों कराया गया सर्वेक्षण शामिल है जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों और सभी स्तर के नेताओं की कार्यप्रणाली और व्यवहार का आकलन किया गया।

तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सौगत रॉय ने कहा, ‘‘ कई सर्वेक्षण किए गए हैं और विस्तृत रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंपी जा रही है। सड़े हुए हिस्सों को बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिशोधन प्रकिया अगले साल पंचायत चुनावों के लिए टिकट बंटवारे के दौरान अपने चरम पर होगी। 50 से 60 प्रतिशत से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों को दोबारा टिकट देने से मना किया जा सकता है।’’

रॉय की राय से सहमति जताते हुए तृणमूल के पश्चिम बंगाल प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजूमदार ने कहा कि आमूल-चूल परिवर्तन की प्रक्रिया अगस्त में तब शुरू हुई जब कई जिलों के पार्टी अध्यक्षों को बदला गया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने संगठन में सभी स्तरों पर आमूल-चूल परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की गई जो इस साल के नवंबर तक पूरी होगी।

जब मीडिया शिक्षक भर्ती घोटाले एवं मवेशी तस्करी के मामले में व्यस्त है तब हमारी पार्टी शांति से छवि बदलने के लिए बड़े बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रही है।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी की सभी जिला इकाइयों, मजदूर इकाई आईएनटीटीयूसी और छात्र इकाई तृणमूल छात्र परिषद में सभी स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं।

मजूमदार ने कहा, ‘‘ संगठन में सभी स्तरों पर बदलाव हो रहे हैं। हम स्वयं अपना कायाकल्प और परिवर्तन कर रहे हैं और हम ऐसा करेंगे।’’ गौरतलब है कि अगस्त के कोलकाता के विभिन्न हिस्सो में पोस्टर लगाए गए थे जिनमें दावा किया गया ‘‘नई और बदलाव वाली तृणमूल कांग्रेस’’ छह महीनों में आएगी। इन पोस्टर में केवल पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी की तस्वीर थी।

हालांकि, पोस्टर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर नहीं होने को लेकर सवाल उठे थे। परंतु अभिषेक बनर्जी ने सभी कयासों को खारिज करते हुए कहा था कि ‘‘ ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की एकमात्र चेहरा हैं। नयी तृणमूल कांग्रेस का अभिप्राय है कि पार्टी लोगों के साथ खड़ी होगी और उनके काम करेगी एवं लड़ेगी जिसके आधार पर वह वर्ष 2011 में सत्ता में आई थी।’’

विपक्ष ने हालांकि, तृणमूल के कायाकल्प करने की कोशिश का माखौल उड़ाया है और इसे ‘‘नयी बोतल में पुरानी शराब’’करार दिया है। भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राष्ट्रीय उपाअध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘तृणमूल कांग्रेस ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट है। यह कोशिश लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए है।’’

पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि ‘‘ नयी तृणमूल कांग्रेस और छवि सुधार’’का लक्ष्य अभिषेक बनर्जी की पार्टी पर पकड़ को मजबूत करना है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल जनवरी से ही तृणमूल कांग्रेस का आंतरिक संघर्ष सार्वजनिक हो चुका है।

अब कुछ वरिष्ठ नेताओं के गिरफ्तार होने और अन्य के विरक्त होने के बाद युवा ब्रिगेड संगठन के सभी स्तरों से पुराने नेताओं को हटाकर पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।’’ राजनीतिक विश्लेषक हालांकि, तृणमूल कांग्रेस की छवि बदलने की कोशिश की मंशा और असर को लेकर बंटे हुए हैं।

राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी की छवि को धक्का लगा है। तृणमूल कांग्रेस अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी छवि को दोबारा ठीक करना चाहती है।’’ राजनीतिक विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती का मानना है कि छवि निर्माण की कोशिश के संभवत: वांछित नतीजे नहीं आएं और यह ‘‘कुछ समय के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों से ध्यान भटकाने’’ तक सीमित रह जाए। 

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