पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2026ः ममता बनर्जी की सीट भवानीपुर पर शुभेंदु अधिकारी की नजर?, भाजपा नेता के गढ़ नंदीग्राम पर टीएमसी कर रही फोकस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 24, 2025 06:27 IST2025-08-24T06:26:09+5:302025-08-24T06:27:22+5:30
West Bengal Assembly Elections 2026: बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की संभावना पर अधिकारी ने आगाह किया था, "इस बार हजारों फर्जी नाम हटाए जाएंगे।

file photo
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में राजनीतिक बिसात नए सिरे से बिछाई जा रही है जहां विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने अपनी नजरें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्वाचन क्षेत्र भवानीपुर पर टिका दी हैं, जबकि तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने भाजपा नेता के गढ़ नंदीग्राम पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सूत्रों के अनुसार, अधिकारी ने बूथ स्तर की ताकत और कमजोरियों का पता लगाने के लिए भवानीपुर में एक "विशेष सर्वेक्षण" शुरू किया है, जिसमें पता लगाया जा रहा है कि 2021 में मुख्यमंत्री बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कहां बढ़त बनाई और कहां पिछड़ गई।
भाजपा के एक नेता ने कहा, "शुभेंदु अधिकारी का रुख स्पष्ट है; ममता बनर्जी को भवानीपुर में खुली छूट नहीं मिलेगी। हम हर मतदाता का विवरण जुटा रहे हैं और इस निर्वाचन क्षेत्र में एक विशेष कार्यालय बनाने पर भी विचार कर रहे हैं।" हाल में बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की संभावना पर अधिकारी ने आगाह किया था, "इस बार हजारों फर्जी नाम हटाए जाएंगे।
हम इस बार इस सीट पर ममता बनर्जी की हार सुनिश्चित करेंगे।" इसके विपरीत, तृणमूल कांग्रेस चुपचाप लेकिन लगातार नंदीग्राम में अपनी रणनीति बदल रही है, जहां 2021 में शुभेंदु अधिकारी के साथ ममता की भिड़ंत में अधिकारी 1,956 वोटों से जीते थे। इसका परिणाम अभी भी अदालत में लंबित है।
तृणमूल सूत्रों ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित शीर्ष नेताओं ने शुभेंदु अधिकारी के क्षेत्र में "पैठ बढ़ाने" के लिए जिला नेताओं और ब्लॉक स्तर के नेताओं के साथ लगातार बैठकें शुरू कर दी हैं। राज्य में सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने कहा, "पिछले कुछ सप्ताह में, अभिषेक बनर्जी जैसे पार्टी के शीर्ष नेताओं ने तामलुक समेत कई संगठनात्मक जिलों के नेताओं से मुलाकात की है।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि नंदीग्राम के लिए एक अलग, केंद्रित रणनीति की जरूरत है। बूथ अध्यक्षों और जमीनी स्तर के नेताओं के साथ जल्द ही एक विशेष बैठक बुलाई जाएगी।" अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, दोनों खेमे इन दो निर्वाचन क्षेत्रों के प्रतीकात्मक महत्व को नहीं भूले हैं।
जहां भवानीपुर एक दशक से भी अधिक समय से ममता बनर्जी का गढ़ रहा है, वहीं नंदीग्राम में उनका दांव 2021 में उल्टा पड़ गया। फिलहाल, सबकी नजर नंदीग्राम में तृणमूल के अगले कदम पर है। तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "पार्टी आलाकमान जानता है कि शुभेंदु को उनके ही घर में हराने का असर सिर्फ़ संख्याबल से कहीं ज़्यादा होगा।
यह एक राजनीतिक बदला होगा।" नंदीग्राम 2007 में सुर्खियों में आया था। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के तेज होने के कारण बाद में वाम मोर्चा की सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और ममता बनर्जी सत्ता में आईं। शुभेंदु अधिकारी उस समय ममता बनर्जी के करीबी नेताओं में थे। विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले दिसंबर 2020 में अधिकारी भाजपा में शामिल हो गए।