Wayanad Landslides News Live: केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि वायनाड में भूस्खलन एक दिल दहला देने वाली आपदा है। वहां बहुत भारी बारिश हुई थी। पूरा इलाका तबाह हो गया है। हमने अब तक 93 शव बरामद किए हैं, लेकिन संख्या में बदलाव हो सकता है। वहां 128 लोग घायल हो गए और इलाज जारी है। केरल के पर्वतीय वायनाड जिले में बड़े पैमाने पर भूस्खलनों के कारण मची तबाही के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा अन्य आपात सेवाओं के साथ मिलकर सेना बचाव अभियान संचालित कर रही है। बचाव दल भूस्खलनों के बाद मलबे में दबे लोगों को बचाने तथा लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं। भारतीय सेना भी बचाव अभियान में मदद कर रही है।
रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि 122 इन्फैंट्री बटालियन (टीए) मद्रास की सेकेंड-इन-कमांड के नेतृत्व में 43 कर्मियों की एक टीम को बचाव प्रयासों में सहायता के लिए तैनात किया गया है। इस टीम में एक चिकित्सा अधिकारी, दो जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) और 40 सैनिक शामिल हैं, जो प्रभावित क्षेत्र में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करेंगे।
भूस्खलन की घटना के बाद यहां के एक स्वास्थ्य केंद्र में शवों की कतार के बीच लोग अपने प्रियजनों को ढूंढते नजर आए। परिजनों के शव देखकर जहां कुछ लोग फूट-फूटकर रोने लगे, वहीं किसी अपने का शव इनमें ना पाकर उनके सकुशल होने की आस में कुछ ने राहत की सांस ली। वायनाड जिले के मेप्पाडी गांव के एक स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मंगलवार को कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला।
अब तक दो लोगों को मलबे से जीवित निकाला गया है। लगभग 250 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। स्वास्थ्य केंद्र पहुंची एक युवती ने रुंधे गले से बताया कि भूस्खलन के बाद उसके परिवार के पांच सदस्य लापता हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं। उसने बताया कि वह यह पता लगाने अस्पताल आई है कि कहीं किसी ने उसके परिजनों को यहां तो भर्ती नहीं कराया है।
युवती ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि कहां जाऊं और कहां उनकी तलाश करूं। हमारे दो बच्चे भी लापता हैं। समझ नहीं आ रहा कि हम क्या करें?’’ अस्पताल में रखे शवों में, अपने भाई का शव पाकर एक व्यक्ति बदहवास हो गया और वहां मौजूद लोगों ने उसे ढांढस बंधाया।
एक स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि वह अपने कुछ परिचित लोगों की तलाश कर रही हैं जिनमें 12 वर्षीय लड़की समेत चार लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके कुछ रिश्तेदारों ने मुझे सुबह फोन कर बताया कि पूरा परिवार लापता है और उनका घर भी ढह गया है। मैं यहां अभी तक उनमें से किसी को भी ढूंढ नहीं पाई हूं।’’
अबूबकर नाम का दिव्यांग व्यक्ति अपने लापता भाई और परिवार की तलाश में अस्पताल के एक कमरे से दूसरे कमरे में भटकता रहा। उन्होंने कहा, ‘‘भारी बारिश होने के चलते सोमवार को मैं, मेरी पत्नी और मेरा बेटा मेरी बहन के घर चले गए थे। लेकिन हमारे घर के पास ही रहने वाले मेरे भाई और उसका परिवार वहीं रुक गया और अब उनका कुछ अता-पता नहीं चल पा रहा है।’’ हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि वे जरूर कहीं सुरक्षित होंगे और किसी ने उन्हें बचा लिया होगा।