प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज डिस्कवरी चैनल के लोकप्रीय शो 'मैन वर्सेस वाइल्ड' में दिखने वाले हैं, जिसका कई दिनों से इंतजार किया जा रहा है। इस शो को बेयर ग्रिल्स होस्ट करते हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दर्शकों से अपील की है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीव-जंतुओं के प्रति लगाव देखें।
उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि मैन वर्सेस वाइल्ड का आज रात नौ बजे प्रसारित होने जा रहा, जिसे जरूर देखिए। साथ ही साथ उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें पीएम मोदी और बेयर ग्रिल्स जंगलों में घूमते और एडवेंचर करते दिखाई दे रहे हैं। दरअसल, वह शो कहा ट्रेलर है।
इसमें मोदी को कहते दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने 17-18 वर्ष की आयु में घर छोड़ा और हिमालय पर वक्त बिताया। जीवन का वह अनुभव उन्हें आज भी काम आ रहा है। शो के होस्ट बेयर ग्रिल्स को जंगल की विषम परिस्थितयों से जूझते दिखाया जाता है हालांकि इस बार सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही होंगी.
जंगल में सुरक्षा के लिए बेयर ग्रिल्स प्रधानमंत्री को भाला देते हैं. इस पर मोदी बहुत ही सौम्य अंदाज में जवाब देते हैं कि मेरी परविरश, मेरे संस्कार इसकी इजाजत नहीं देते। मारना हमारे संस्कार में नहीं है। हां आपकी सुरक्षा के लिए इसे पकड़ लेता हूं। दुनिया भर में एक साथ रिलीज हो रहे इस शो के जरिए मोदी भारत की अहिंसावादी छवि को भी पेश करेंगे।
बेयर ग्रिल्स जंगल को खतरनाक क्षेत्र के रूप में परिभाषित करते हैं लेकिन मोदी कहते हैं कि प्रकृति को इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। वह कहते हैं खतरनाक तब होता है जब मनुष्य प्रकृति के विरूद्ध जाते हैं। इसमें प्रधानमंत्री, बेयर ग्रिल्स के साथ स्वच्छ भारत मिशन को लेकर भी चर्चा करते नजर आएंगे।
इस शो की शूटिंग विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नैशनल पार्कमें हुई है। इससे पहले अमेरिका का पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसी हिस्तयां भी इस शो में शामिल हो चुकी हैं। बॉर्न सर्वाइवर ग्रिल्स एडवर्ड माइकल ग्रिल्स यानी बेयर ग्रिल्स अपनी बेहद लोकप्रिय दो एडवेंचर टीवी सीरीज बॉर्न सर्वाइवर और मैन वर्सेज वाइल्ड के लिए जाने जाते हैं।
23 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके ग्रिल्स एडवेंचर की अपनी धुन में कई बार जान जोखिम में डाल चुके हैं। एक-दो बार तो वह मरते-मरते भी बचे हैं। अधिकांश एपिसोड में ग्रिल्स को दुर्गम स्थानों में छोड़ दिया जाता है और दर्शकों को दिखाया जाता है कि वे उन स्थानों में दुर्गम परिस्थितियों को मात देते हुए, उपलब्ध संसाधनों के सहारे कैसे जीवित रहते हैं।