#MeToo अभियान के बाद हर संस्थान में विशाखा गाइडलाइंस लागू करने को लेकर मांग उठाई जा रही है। वहीं धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थान में भी इसकी गाइडलाइंस लागू करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इस संबंध में सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया गया है।
महिलाओं के साथ आश्रम, मदरसा, कैथोलिक चर्च आदि में दुर्व्यवहार और यौन सोशण न हो इसके लिए जनहित याचिका दायर की गई है और विशाखा गाइडलाइंस लागू करने की मांग की गई।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 1997 में सर्वोच्च अदालत ने कामकाजी जगहों पर महिलाओं के संग दुर्व्यवहार, जेंडर आधारित भेदभादव और यौन शोषण या उत्पीड़न रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जिन्हें "विशाखा गाइडलाइन्स" के नाम से जाना जाता है। किसी भी संस्था के लिए इन दिशा-निर्देशों को पालन करना जरूरी है।
साल 2012 में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन्स पर अमल करने की ताकीद की थी। आइए जानते हैं क्या है विशाखा गाइडलाइन्स और इसके तहत किसी तरह शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।
क्या है विशाखा गाइडलाइन्स के नियम
''विशाखा गाइडलाइन्स'' के तहत कोई भी शख्स महिला के साथ जबरदस्ती यौन सम्बन्ध बनाने की कोशिश करता है तो यह अपराध है। ''विशाखा गाइडलाइन्स'' के अनुसार यौन उत्पीड़न वह है, जिसमें कोई आपसे अनचाहे तौर पर यौन संबंध के लिए आप पर दवाब बनाता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विशाखा दिशानिर्देश एक सुरक्षित कामकाजी माहौल को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। गाइडलाइन के मुताबिक, "यौन उत्पीड़न के कृत्यों को कम करने या रोकने के लिए हर दफ्तर में चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकरकारी विशाखा की केमिटी होना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार इसके तहत के अपराधों को देखने के लिए संगठन के भीतर शिकायत समिति की स्थापना करना है।