नई दिल्ली: कांवड़ यात्रा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी खाद्य दुकानों पर नाम बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश से विवाद खड़ा हो गया है, कई लोगों ने इसे असंवैधानिक बताया है। यूपी सरकार विपक्षी दलों की आलोचना का शिकार हो रही है, क्योंकि उसने भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा है।
भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी और बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास" के खिलाफ है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए जेडी(यू) नेता केसी त्यागी ने कहा, "बिहार में इससे भी बड़ी कांवड़ यात्रा होती है। वहां ऐसा कोई आदेश लागू नहीं है। जो प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' का उल्लंघन हैं, जिसकी बात पीएम करते हैं... यह आदेश बिहार, राजस्थान, झारखंड में लागू नहीं है। अच्छा होगा कि इसकी समीक्षा की जाए।"
इसके अलावा एनडीए की सहयोगी पार्टी आरएलडी भी योगी सरकार के इस फैसले पर अपनी आपत्ति जता चुकी है। आरएलडी प्रवक्ता अनिल दूबे ने कहा कि दुकानों पर नाम लिखने का आदेश गलत है। दुकानों पर जाति-धर्म की बात लिखना गलत है। उन्होंने कहा फैसले की समीक्षा होनी चाहिए और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उनकी तरफ यह भी साफ किया गया है कि पार्टी नेता जयंत चौधरी की भी यही राय है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे सामाजिक अपराध बताया है। अखिलेश यादव ने कहा कि अदालतों को इस मामले में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।
उत्तर प्रदेश की राह पर उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों, होटल और ढाबा मालिकों को अब रेट लिस्ट के साथ अपना नाम भी दिखाना होगा। हरिद्वार पुलिस ने रेस्टोरेंट मालिकों को कांवड़ यात्रा मार्ग पर अपना नाम भी दिखाने का आदेश जारी किया है। इस साल 2024 में कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है। सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को खत्म होगा।