उपराष्ट्रपति ने ऑनलाइन शिक्षा के लिए समावेशी दृष्टिकोण का आह्वान किया
By भाषा | Published: August 26, 2021 08:29 PM2021-08-26T20:29:55+5:302021-08-26T20:29:55+5:30
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के लिए समावेशी दृष्टिकोण का आह्वान करते हुए आगाह किया कि पहुंच, गुणवत्ता एवं सामर्थ्य से संबंधित मुद्दों में महामारी के कारण बढ़ोतरी हो सकती है तथा अनेक छात्र इस प्रक्रिया में बाहर हो सकते हैं। नायडू ने दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वालों के लिए ऑनलाइन शिक्षा की ताकत को 'डिजिटल ब्रिज' के रूप में मानते हुए कहा कि इस बारे में बहुत सावधानी बरती जानी चाहिए कि सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्र ऑनलाइन शिक्षा से बाहर नहीं हों और ‘‘डिजिटल डिवाइड’’ पैदा नहीं हो। उपराष्ट्रपति ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार लाने के लिए ‘भारत नेट’ जैसी परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन की जरूरत पर जोर दिया। वह आंध्र प्रदेश के अनंतपुरम स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले स्थापना दिवस समारोह को वर्चुअल रूप से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के स्कूल एवं कॉलेज छात्रों के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उपलब्ध कराने को प्राथमिकता देने वाली संस्थाओं की जरूरत है। नायडू ने भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की कमी का उल्लेख करते हुए शैक्षिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में निजी क्षेत्र के दिग्गजों से अधिक-से-अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्य सामग्री पेश करने का आह्वान किया। इस संदर्भ में उन्होंने अभी हाल में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा विकसित टूल का जिक्र किया जो अंग्रेजी भाषा की सामग्री का 11 भारतीय भाषाओं में ऑनलाइन अनुवाद करता है। उन्होंने इस तरह के अन्य प्रयासों का भी आह्वान किया और कहा कि ऑनलाइन शिक्षा पर कुछ लोगों का ही विशेषाधिकार नहीं रहना चाहिए, बल्कि देश में शिक्षा के वास्तविक लोकतंत्रीकरण के लिए इसे अंतिम हथियार बनना चाहिए।
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