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उत्तर प्रदेशः कांग्रेस को झटका, पूर्व सांसद अनु टंडन ने इस्तीफा दिया, ट्वीट कर बताई ये वजह

By भाषा | Updated: October 29, 2020 13:41 IST

उन्नाव से पूर्व लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा था और कुछ लोगों द्वारा झूठा प्रचार चलाया जा रहा था तथा केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। 

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ठळक मुद्देअनु ने ट्विटर पर जारी एक बयान में अपना त्यागपत्र कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजने की जानकारी दी।कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी मेरी बातचीत हुई, लेकिन वो भी इन हालात में असहाय एवं विकल्पहीन लगे।दुर्भाग्‍यवश प्रदेश नेतृत्‍व से कोई तालमेल न होने के कारण मुझे कई महीनों से काम में उनसे कोई सहयोग प्राप्‍त नहीं हो रहा है।

लखनऊः उत्तर प्रदेशकांग्रेस कमेटी ने उन्‍नाव से पूर्व सांसद अनु टंडन को बृहस्पतिवार को कांग्रेस से छह वर्ष के लिए निष्‍कासित कर दिया। कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने बताया कि अनु टंडन को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में अनुशासन समिति ने छह वर्ष के लिए कांग्रेस से निष्‍कासित कर दिया है।

उन्‍होंने कहा कि टंडन पिछले काफी समय से पार्टी के कार्यक्रमों में कोई रुचि नहीं ले रही थीं। इसस पहले टंडन ने सुबह कहा कि उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अनु ने ट्विटर पर जारी एक बयान में अपना त्यागपत्र कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजने की जानकारी दी।

उन्नाव से पूर्व लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा था और कुछ लोगों द्वारा झूठा प्रचार चलाया जा रहा था तथा केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। 

उन्नाव से पूर्व लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा था और कुछ लोगों द्वारा झूठा प्रचार चलाया जा रहा था तथा केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘इन बिंदुओं पर मेरी बात कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से भी हुई, लेकिन ऐसा कोई विकल्प या रास्ता नहीं निकल पाया, जो सबके हित में हो। पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी मेरी बातचीत हुई, लेकिन वो भी इन हालात में असहाय एवं विकल्पहीन लगे।’’

मुझे कई महीनों से काम में उनसे कोई सहयोग प्राप्‍त नहीं हो रहा

टंडन ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्‍यवश प्रदेश नेतृत्‍व से कोई तालमेल न होने के कारण मुझे कई महीनों से काम में उनसे कोई सहयोग प्राप्‍त नहीं हो रहा है। 2019 का चुनाव हारना मेरे लिए इतना कष्‍टदायक नहीं रहा, जितना पार्टी संगठन की तबाही और उसे बिखरते हुए देखकर हुआ।’’

उन्‍होंने कहा ,‘‘ प्रदेश का नेतृत्‍व सोशल मीडिया मैनेजमेंट व व्‍यक्तिगत ब्रांडिंग में इतना लीन है कि पार्टी व मतदाता के बिखर जाने का उन्‍हें कोई ज्ञान नहीं है।’’ इस संदर्भ में प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू से बातचीत का प्रयास किया गया तो उन्‍होंने कहा कि वह कुछ समय बाद अपनी प्रतिक्रिया देंगे।

टंडन ने कहा, ‘‘मेरे नेक इरादों के बावजूद मेरे सहयोगियों और मेरे बारे में कुछ चुनिंदा व अस्तित्‍वहीन व्‍यक्तियों द्वारा झूठा प्रचार सिर्फ वाहवाही के लिए किया जा रहा है ,उससे मुझे अत्‍यंत कष्‍ट का अनुभव हुआ। तकलीफ तब ज्‍यादा होती जब नेतृत्‍व द्वारा उसकी रोकथाम के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जाता है। इन सारी वजहों के बावजूद मैं कई महीनों से इस उम्‍मीद से पार्टी में बनी रही कि शायद प्रदेश के सुंदर भविष्‍य के लिए अच्‍छे व काबिल नेतृत्‍व को प्रोत्‍साहित किया जाएगा।’’

टंडन ने कहा ,‘‘ मेरी वार्ता कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी से भी हुई लेकिन कोई भी विकल्‍प और आगे का रास्‍ता नहीं निकल पाया। उत्‍तर प्रदेश और अन्‍य प्रदेशों के कांग्रेस के कई वरिष्‍ठ नेताओं से मेरी वार्ता इन चंद महीनों में हुई और हालातों से सभी असहाय और विकल्‍पहीन लगे। मुझे अब पद व कोई प्रलोभन तसल्‍ली नहीं दे सकता और कांग्रेस पार्टी से मेरा विश्‍वास टूटकर बिखर गया है। मैं पार्टी के प्रदेश संगठन के साथ अपने उन्‍नाव वासियों या प्रदेश की सेवा करने में अपने को असमर्थ महसूस करती हूं।’’

अपने पत्र में टंडन ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से 15 वर्षों में मिले सहयोग के लिए उनके प्रति आभार जताया है। टंडन ने लिखा, ‘‘कांग्रेस में रहते हुए मुझे वरिष्‍ठ नेतृत्‍व से हमेशा मिलने का सौभाग्‍य रहा है और इस कार्यकाल में दोनों ही नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्‍व में काम करते हुए उनका स्‍नेह और सहयोग मिला।

इन वर्षों के सहयोग के लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी। मेरे उसूल और मेरी विचारधारा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्‍व से हमेशा मिलती हुई रही और इस त्‍याग पत्र के उपरांत उसमें कोई परिवर्तन नहीं है।’’ उन्‍होंने कहा, ‘‘मैं अपने गृह क्षेत्र उन्‍नाव की 20 वर्षों से सेवा कर रही हूं और आगे भी काम करते रहना चाहती हूं। सहयोगियों से परामर्श के बाद भविष्य का फैसला लूंगी।’’ 

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