उत्तर प्रदेश : विपक्ष ने राज्‍यपाल के अभिभाषण का विरोध कर सदन से बहिर्गमन किया

By भाषा | Updated: February 18, 2021 20:45 IST2021-02-18T20:45:43+5:302021-02-18T20:45:43+5:30

Uttar Pradesh: Opposition protests Governor's address and walks out of House | उत्तर प्रदेश : विपक्ष ने राज्‍यपाल के अभिभाषण का विरोध कर सदन से बहिर्गमन किया

उत्तर प्रदेश : विपक्ष ने राज्‍यपाल के अभिभाषण का विरोध कर सदन से बहिर्गमन किया

लखनऊ, 18 फरवरी उत्तर प्रदेश विधान मंडल सत्र के पहले दिन बृहस्पतिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। विपक्षी दलों ने अभिभाषण पढ़ने में छह से सात मिनट की देरी का मुद्दा भी उठाया।

वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि राज्यपाल का अभिभाषण सरकार की नीतियों का पन्ना होता है, लेकिन आज जिस प्रकार से विपक्ष ने गैर ज़िम्मेदाराना रवैया अपनाया है, वह निंदनीय है।

नेता विपक्षी एवं समाजवादी पार्टी (सपा)के राम गोविंद चौधरी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘राज्यपाल अपना भाषण नहीं पढ़ना चाहती थीं, लेकिन मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने बहुत मनाया तब जाकर वह अपना अभिभाषण पढ़ने को तैयार हुईं।’’

गौरतलब है कि राज्यपाल सदन में करीब छह से सात मिनट की देरी से आई थीं। राज्‍यपाल के अभिभाषण के लिए सुबह 11 बजे का समय निर्धारित था लेकिन उनके आने में पांच मिनट से ज्‍यादा देरी हुई और अभिभाषण की शुरुआत निर्धारित समय से करीब सात मिनट देरी से हो सकी। विपक्ष ने इसी मामले को तूल दे दिया।

विपक्षी दल के सदस्‍यों का कहना था कि राज्‍यपाल सरकार से अहसमत थीं इसलिए देरी से आईं। विपक्षी सदस्‍यों ने इसे मुद्दा बनाकर सदन से बहिर्गमन किया।

राज्‍यपाल के जाने के बाद जब विपक्षी सदस्‍य दोबारा सदन में आये तो कांग्रेस की दल नेता आराधना मिश्रा ने मांग की कि सदन में दोबारा अभिभाषण पढ़ने के लिए राज्‍यपाल का समय सुनिश्चित किया जाए।

विधानसभा अध्‍यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि राज्‍यपाल देर से नहीं आईं, इसपर बीच में टोकते हुए नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि घड़ी तो झूठ नहीं बोलती है।

चौधरी ने कहा कि बजट अभिभाषण में पढ़ने के लिए कुछ था ही नहीं इसलिए राज्‍यपाल देरी से आईं और उनकी मजबूरी को देखते हुए हम लोगों ने सदन से बहिर्गमन किया।

इस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने कहा कि विपक्ष का विकास और सुशासन से कोई मतलब नहीं है और यहां अभिभाषण का बहिष्‍कार कर इन लोगों ने राज्‍यपाल का अपमान किया है।

मंत्री के बयान पर एतराज जताते हुए राम गोविंद चौधरी ने कहा कि विकास की कोई बात नहीं हुई, समय की बात हुई है।

उन्‍होंने जोर दिया कि अभिभाषण को रद्द कराया जाए।

इसके पहले पत्रकारों से चौधरी ने कहा, ‘‘प्रदेश की कानून व्यवस्था ध्वस्त है, महंगाई चरम पर है, महिलाओं पर अत्याचार बेलगाम हो गए हैं, सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है, प्रदेश में जंगलराज है, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय भी कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून नाम की चीज नहीं है।’’

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार में नैतिकता हो तो उसे इस्तीफा दे देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सदन में किसान आंदोलन में शहीद हुए 200 किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रस्ताव रखा, लेकिन सरकार नहीं मानी। सरकार किसान विरोधी है, हम लोगों ने राज्यपाल वापस जाओ के नारे लगाए। हमने राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार किया।’’

कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा और विधान परिषद में कांग्रेस के नेता दीपक सिंह ने कहा कि किसान विरोधी क़ानूनों को सरकार वापस ले।

आराधना मिश्रा ने सरकार पर हमला बोलते हुये राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया और सदन से वॉक आउट किया।

बहुजन समाज पार्टी के विधान मंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने कहा, ‘‘राज्यपाल का अभिभाषण सरकार के वक्तव्यों का पुलिंदा होता है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब राज्यपाल सरकार से असहमत थीं इसलिए देर से आईं। सरकार किसानों को बिचौलियों के हाथ में बांधने के काम कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला, जब से भाजपा की सरकार बनी है पूरे प्रदेश में महिलाओं से बलात्कार और हत्या की घटनाएं हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, ‘‘आज से विधान मंडल का बजट सत्र शुरू हुआ है, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह वर्तमान सरकार का अहम बजट सत्र है। राज्यपाल का अभिभाषण सरकार की नीतियों का पन्ना होता है, लेकिन आज जिस प्रकार से विपक्ष ने गैर ज़िम्मेदाराना रवैया अपनाया है, वह निंदनीय है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष को विकास या सुशासन में रुचि नहीं है और उन्होंने सदन का बहिष्कार किया है। खन्ना ने कहा कि विपक्षी दलों के आचरण को उचित नहीं कहा जा सकता है। जो विपक्ष सरकार और राज्यपाल के अभिभाषण को नहीं सुन सकता है, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है।

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