लखनऊः योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद सरकारी अधिकारियों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं द्वारा की जा रही उनकी उपेक्षा से खासे खफा हैं. उनका कहना है कि एनडीए सहयोगी का सहयोगी दल होने के बावजूद निषाद पार्टी को भाजपा का नेतृत्व ना तो सीट ही दे रहा है और ना ही चुनाव चिह्न. भाजपा नेतृत्व का यह रवैया निषाद पार्टी के साथ उसके उपेक्षापूर्ण व्यवहार को दर्शाता है. यह दावा करते हुए संजय निषाद ने भाजपा पर आरक्षण की मांग को पूरा न करने और निषाद जातियों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उन्होंने यह भी कहा है कि आजतक भाजपा नेता उस विभीषण को भी नहीं खोज पाए हैं, जिसने उनके पुत्र को चुनाव में हराने में अहम भूमिका निभाई थी.
निषाद आरक्षण के नाम पर भाजपा नेतृत्व खामोश
बीते लोकसभा चुनाव में संजय निषाद के पुत्र प्रवीण निषाद ने संतकबीरनगर सीट से चुनाव लड़ा था. इस सीट पर प्रवीण निषाद समाजवादी पार्टी के लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद से चुनाव हार गए थे. संजय निषाद का कहना है कि भाजपा के स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से प्रवीण को हराया गया था. जिन भाजपा नेताओं ने उनके पुत्र को हारने में अहम रोल निभाया था, उनके बारे में भाजपा नेतृत्व को बताया था.
लेकिन आज तक भाजपा के विभीषणों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया. यही नहीं यूपी में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के पहले हमसे कहा गया कि आरक्षण पर चर्चा होगी फिर सीट शेयरिंग का मामला सुलझाया जाएगा. भाजपा नेताओं के इस आश्वासन पर हमने निषाद आरक्षण के लिए अपनी दावेदारी छोड़ दी. लेकिन फिर कुछ नहीं किया गया.
सरकार के होने के बाद भी हमें लगता है कि हमारी उपेक्षा की जा रही है, जबकि बीते पांच साल से हम गठबंधन में हैं, लेकिन भाजपा नेतृत्व हमसे किया गया वादा पूरा नहीं कर रहा है. ऐसे में हम अपने समाज के लोगों से क्या कहेंगे. यह सवाल उठाते हुए संजय निषाद कहते हैं कि हाल ही में हमारी यात्रा के दौरान एक डीआईजी के स्टाफ ने दुर्व्यवहार किया.
जिसकी शिकायत हमने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने की तो डीआईजी के खिलाफ एक्शन लिया गया, लेकिन निषाद आरक्षण के सवाल पर चुप्पी भाजपा का नेतृत्व खामोश है. संजय निषाद कहते हैं कि यूपी में हमारे निषाद समुदाय का विधानसभा की 200 सीटों पर प्रभाव है.
अब इन सीटों पर भाजपा जीत तो रही है लेकिन उसके मार्जिन कम हो रहे हैं. निषाद समुदाय के प्रति भाजपा नेतृत्व के व्यवहार के कारण ऐसा हो रहा है. अब अगर हमारी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो भाजपा को नुकसान होगा, भाजपा अगले विधानसभा चुनावों में भाजपा फिर से सत्ता में नहीं आ पाएगी.