लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश में एक साथ कई मोर्चो पर सियासी दांव खेल रही हैं. इसके चलते जहां एक तरह योगी सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खुलकर हिंदुत्व के पिच पर खड़ी नजर आ रही. वहीं दूसरी तरह राज्य में एक्सप्रेसवे और औद्योगिक पार्कों के निर्माण का ऐलान करते हुए सरकार रोजगार मेलों का आयोजन कर युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के दावे कर रही हैं. यह सब करते हुए अब योगी सरकार राज्य में विधायकों के वेतन और पेंशन में इजाफा करने की कवायद में जुट गई हैं.
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बीते दिनों सांसदों की सैलरी के अलावा भत्ते और पूर्व संसद सदस्यों की पेंशन में की गई बढ़ोतरी को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश में विधायकों के वेतन में इजाफा करने पर अपनी सहमति जताई है. सूबे के विधायक लंबे समय से वेतन में इजाफा करने की मांग कर रहे थे. सीएम योगी जल्दी ही विधायकों ने वेतन में इजाफा करने का ऐलान करेंगे.
विधायकों को मिलने वाला वेतन और भत्ता
विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के विधायकों का मूल वेतन 25 हजार रुपए प्रतिमाह है और सभी भत्ते आदि मिलाकर करीब 1.95 लाख रुपए प्रतिमाह हर विधायक को मिलता है. यह वेतनभत्ता पाने के लिए भी विधायकों को संघर्ष करना पड़ा. पूर्व विधायको के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों के मुताबिक मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायकों का वेतन और भत्ता काफी कम है.
तेलंगाना जैसे राज्य में विधायक को 2.5 लाख रुपए से ज्यादा और मुख्यमंत्री को चार लाख रुपए से अधिक मिलता है. जबकि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले के तहत विधायकों का मासिक पैकेज बढ़ाकर 1.95 लाख रुपए किया गया था. इसमें विधायकों का मूल वेतन और कई तरह के भत्ते शामिल हैं.
विधायकों का मूल वेतन पहले 10,000 रुपए था, जिसे बढ़ाकर 25,000 रुपए किया गया है. इस मूल वेतन के साथ हर विधायक को 50,000 रुपए क्षेत्र भत्ता मिलता है. यह भत्ता तब मिलता है, जब विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा होता. इसके अलावा विधायकों को इलाज के लिए चिकित्सा भत्ता 30,000 रुपए मिलता है.
सचिव के काम के लिए विधायक को 20,000 रुपए मिलते हैं. इसके अलावा जनता की मदद के लिए विधायक को हर दिन 1,500 रुपये मिलते हैं. विधानसभा की बैठक में शामिल होने पर हर विधायक को हर सत्र के लिए उन्हें 2,000 रुपए दिए जाते हैं. विधायकों को यात्रा आदि के लिए भी 4.25 लाख रुपए के कूपन दिए जाते हैं, जिन्हे एक वर्ष के भीतर उपयोग करना होता है.
इसके अलावा विधायक को निजी वाहन के लिए 25,000 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं. विधायकों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए विकास निधि भी मिलती है. विधायक के पांच साल के कार्यकाल में यह निधि 7.5 करोड़ रुपए तक होती है. इस पैसे से विधायक अपने क्षेत्र में सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसी चीजों के निर्माण आदि पर खर्च करते हैं. इसके अलावा हर विधायक को लखनऊ में पांच वर्षों के लिए एक मुफ्त आवास और मोबाइल फोन के लिए छह हजार रुपए मिलते हैं.
विधायकों की मांग
सूबे के विधायकों को मिला रहा यह वेतन और भत्ता अब कम लगता है. विधानसभा के सत्र के दौरान कई विधायकों ने नौ साल पहले तय हुए वेतन और भत्तो को बढ़ाए जाने का आग्रह सदन में किया. बीते विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधानमण्डल दल की नेता आराधना मिश्रा ने विधायकों को मिलने वाले वेतन-भत्ते और विधायक निधि को बढ़ाए जाने के मांग की थी.
उनकी इस मांग पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने विधायक निधि बढ़ाए जाने के लिए एक कमेटी गठित करने का आश्वासन दिया था. अब केंद्र द्वारा सांसदों के वेतन-भत्ते में किए गए इजाफे के बाद यह कहा जा रहा है कियूपी में भी विधायकों का वेतन-भत्ता बढ़ाए जाने का रास्ता खुल गया है.
फिलहाल इसके लिए अधिकारी प्रस्ताव तैयार करने में जुट गए हैं, जल्दी ही यह प्रस्ताव सीएम योगी की मंजूरी के लिए रखा जाएगा. ताकि सीएम योगी विधायको के वेतन-भत्ते बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर अपनी मोहर लगाकर विधायकों की कई वर्षों से की जा रही मांग को पूरा कर उनके चेहरे पर खुशी ला दें.