उपहार कांड पीड़ित संघ ने सुशील अंसल की याचिका का विरोध किया

By भाषा | Updated: September 15, 2021 16:07 IST2021-09-15T16:07:19+5:302021-09-15T16:07:19+5:30

Uphaar case victims' union opposes Sushil Ansal's plea | उपहार कांड पीड़ित संघ ने सुशील अंसल की याचिका का विरोध किया

उपहार कांड पीड़ित संघ ने सुशील अंसल की याचिका का विरोध किया

नयी दिल्ली, 15 सितंबर उपहार कांड पीड़ित संघ (एवीयूटी) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल की उस अर्जी का विरोध किया जिसमें जांच अधिकारी के वकील बदले जाने से उत्पन्न स्थिति में उनसे जिरह करने की अनुमति मांगी गई है।

अंसल मुख्य उपहार अग्निकांड मामले में सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में अभियोग का सामना कर रहे हैं।

एवीयूटी के वकील ने कहा कि यह अर्जी सुनवाई में देरी करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है और अर्जी पूरी तरह से विचारणीय नहीं है।

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने दलीलें सुनीं और कहा कि वह इस मामले में आदेश पारित करेंगे।

अंसल के वकील ने कहा कि निचली अदालत ने सीआरपीसी की धारा 311 (गवाह को बुलाने या किसी व्यक्ति से पूछताछ करने का अधिकार) के तहत उनकी याचिका का निपटारा कर दिया है और कहा कि वह जांच अधिकारी से जिरह करने के लिए एक और अवसर देने का अनुरोध कर रहे है।

सुनवाई के दौरान, एवीयूटी अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने तर्क दिया कि आरोपी के नए वकील ने अंतिम बहस के दौरान सीआरपीसी की धारा 311 के तहत रणनीतिक रूप से एक ऐसे गवाह को वापस बुलाने के लिए अर्जी दाखिल की है, जिससे पहले ही व्यापक रूप से जिरह की जा चुकी है।

उन्होंने कहा कि मुकदमे में हुई देरी के कारण, त्रासदी के पीड़ितों को 2013 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने और यहां तक कि 2018 में मुकदमे में तेजी लाने के लिए कई बार दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा था।

पाहवा ने कहा, ‘‘यह देखते हुए कि उपहार त्रासदी 1997 में हुई थी और इसमें पहले ही देरी हो चुकी है और पीड़ित अभी भी हादसे के 24 वर्षों बाद 2021 में न्याय का इंतजार कर रहे हैं।’’

उच्च न्यायालय ने नौ सितंबर को गवाहों से छेड़छाड़ मामले में सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। यह मामला मुख्य मामले के सबूतों से छेड़छाड़ से संबंधित है। मुख्य मामले में सुशील और गोपाल अंसल को दोषी ठहराया गया था और उच्चतम न्यायालय ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने उन्हें इस शर्त पर रिहा कर दिया था कि वे 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना अदा करेंगे जिसका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजधानी में एक ट्रॉमा सेंटर के निर्माण के लिए किया जायेगा।

अदालत के एक कर्मचारी दिनेश चंद शर्मा, और अन्य व्यक्तियों – पीपी बत्रा, हर स्वरूप पंवार, अनूप सिंह और धर्मवीर मल्होत्रा ​​के साथ अंसल बंधुओं पर सबूतों के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ करने लिए मामला दर्ज किया गया था। मुकदमे के दौरान पंवार और मल्होत्रा की मौत हो गई।

गौरतलब है कि उपहार सिनेमा में 13 जून, 1997 को हिंदी फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग के दौरान आग लग गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।

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