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UP News: लाल बिहारी यादव होंगे विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष, अखिलेश ने किरण पाल कश्यप को मुख्य सचेतक, आशुतोष सिन्हा को सचेतक और जासमीर अंसारी को उप नेता नियुक्त किया

By राजेंद्र कुमार | Updated: July 22, 2024 22:32 IST

UP News: समाजवादी पार्टी (सपा) के लाल बिहारी यादव उत्तर प्रदेश विधान परिषद में विपक्ष के नेता होंगे.

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ठळक मुद्देUP News: विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने ‘नेता विरोधी दल’ बनाया है.UP News: सबसे बड़े विपक्षी दल को कम से कम 10 सदस्यों की जरूरत होती है.UP News: सपा से जुलाई 2022 में नेता प्रतिपक्ष का पद छिन गया था.

लखनऊः उत्तर प्रदेश के उच्च सदन यानी विधान परिषद में दो साल बाद समाजवादी पार्टी (सपा) को नेता प्रतिपक्ष का ओहदा वापस मिल गया है. तो सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी पार्टी के जुझारू एमएलसी लाल बिहारी यादव को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का फैसला कर लिया. इसके साथ ही सपा मुखिया ने किरण पाल कश्यप को विधान परिषद का मुख्य सचेतक, आशुतोष सिन्हा को सचेतक और मो. जासमीर अंसारी को विधान परिषद का उप नेता नियुक्त किया है.

अखिलेश यादव ने यह फैसला लेते हुए लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दिए जाने की चिट्टी विधान परिषद के सभापति को भेज दी है. अब जब 29 जुलाई से विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू होगा तब शिक्षकों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले लाल बिहारी यादव नेता विपक्ष की हैसियत से अपनी नई टीम के साथ योगी सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ेंगे.

 सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के अनुसार, विधान परिषद में सपा को नेता प्रतिपक्ष का दोबारा ओहदा वापस पाने पर अखिलेश यादव ने जिन पार्टी नेताओं पर भरोसा जताया है, वह सभी जुझारू प्रवृत्ति के हैं. इनमें मो. जासमीन अंसारी को जिन्हे परिषद में उप नेता बनाया गया, उन्हे वर्ष 2022 में अखिलेश ने परिषद भेजा था.

उनकी पत्नी कैसर जहां भी सांसद रह चुकी हैं. इसके अलावा मुख्य सचेतक बनाए गए किरनपाल कश्यप और सचेतक बनाए गए आशुतोष सिन्हा भी अपने क्षेत्र में जनता की आवाज उठाते रहते हैं. उच्च सदन में पार्टी के इन चेहरों के जरिए सपा मुखिया ने पीडीए (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक के साथ ही अपने परंपरागत मुस्लिम-यादव समीकरण को मजबूत किया है.

कौन हैं लाल बिहारी

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए लाल बिहारी यादव आजमगढ़ से ताल्लुख रखते हैं. एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले लाल बिहारी यादव वर्ष 2020 में हुए वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर एमएलसी बने थे. शिक्षकों के हितों और उनके अधिकारियों की लड़ाई लड़ने वाले लाल बिहारी यादव यूपी माध्यमिक शिक्षक संघ वित्त विहीन गुट के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं. वित्त विहीन शिक्षकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए साल 2004 में उन्होंने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (वित्तविहीन गुट) का गठन किया था.

वर्ष 2007 और वर्ष 2013 में गोरखपुर-फैजाबाद शिक्षक निर्वाचन खंड और 2017 में इलाहाबाद-झांसी शिक्षक निर्वाचन खंड से लाल बिहारी यादव ने एमएलसी का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे. वर्ष 2020 में सपा का साथ मिलने के बाद चौथी बार में वह एमएलसी बने. यह जीत उन्होने पीएम नरेंद्र मोदी के गढ़ में मिली थी. लाल बिहारी पर शिक्षकों के हितों की आवाज उठाने के लिए कई मुकदमे दर्ज हैं और शिक्षकों के आंदोलन को लेकर वह कई बार जेल भी जा चुके हैं. 

इसी साल मार्च में हुए विधान परिषद चुनाव में तीन सीट जीतने के साथ सपा के सदस्यों की संख्या 10 पहुंच गई है. प्रदेश विधान परिषद में इस वक्त सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे ज्यादा 79 सदस्य हैं. इसके अलावा सपा के 10, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल (सोनेलाल), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और शिक्षक दल के एक-एक तथा चार निर्दलीय सदस्य हैं. उच्च सदन में एक सीट अभी खाली है.

टॅग्स :उत्तर प्रदेशसमाजवादी पार्टीअखिलेश यादवलखनऊBJP
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