लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी दिल्ली और एनसीआर में सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाकर एनिमल शेल्टर्स में रखने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की चर्चाएं ज़ोरशोर से शुरू हो गई हैं. इसकी प्रमुख वजह है, देश में कुत्ते के काटने की सबसे अधिक घटनाएं उत्तर प्रदेश में होना है. यूपी में बीते छह वर्षों के दौरान (वर्ष 2018 से वर्ष 2023) कुत्तों के काटने की 53,41,592 घटनाएं हुई.
इसके बाद भी इसे रोकने के लिए सरकार के स्तर से कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए, जबकि लखनऊ में ही हर दिन कुत्ते के काटने की करीब 80 घटनाएँ रोज हो रही हैं. पर अब सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले के बाद लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल इस मामले में गंभीर हुई हैं और उन्होंने लखनऊ में आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाने को लेकर नगर निगम के अफसरों के साथ विचार-विमर्श किया है. इस विचार मंथन में उन्होंने सूरत नगर निगम की तरह लखनऊ में एक डॉग शेल्टर होम बनाने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है.
इस डाग शेल्टर होम में एआई कैमरों का प्रयोग किया जाएगा. इसके अलावा लखनऊ नगर निगम जल्दी ही पालतू कुत्तों को माउथ गार्ड पहनाकर ही घर के बाहर लेकर आने का नियम बनाएगा. ताकि लोग पालतू कुत्तों का शिकार ना बने. इसके अलावा यूपी के बड़े शहरों में पालतू कुत्ते के लिए लाइसेंस बनवाना भी अनिवार्य किया जाएगा. इस नियम का उल्लंघन करने वालों जुर्माना वसूल किया जाएगा.
सरकार उठाएगी यह कदम :
लखनऊ नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अभिनव वर्मा के अनुसार, कुत्ते के काटने संबंधी जो आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में रखे गए, उसके मुताबिक वर्ष 2018 से 2023 के बीच पूरे देश में आवारा कुत्तों के काटने के 2,77, 69,456 घटनाएँ हुई थी. इनमें यूपी की 53,41,592 घटनाएं भी शामिल हैं. इस सभी घटनाओं में आवारा कुत्तों और पालतू कुत्तों के काटे जाने की घटनाएं भी हैं.
वर्मा बताते हैं कि प्रदेश में पालतू पशुओं के हमले की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. विशेषकर पिटबुल, फ्रेंच मास्टिफ और रॉटविलर जैसी आक्रामक नस्लों के हमले जानलेवा हो रहे हैं. वर्ष 2022 में शहर के कैसरबाग के बंगाली टोला में पालतू पिटबुल के हमले से उसकी मालकिन 75 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षिका की मौत हो गई थी.
यहीं नहीं आए दिन प्रदेश के बड़े शहरों में जब लोग अपने कुत्ते को टहलाने ले जाते हैं तब आक्रामक नस्लों के कुत्ते लोगों को काट लेते हैं. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नगर निगम ने नया नियम बनाने जा रहा है. इस नियम के तहत पालतू कुत्तों को माउथ गार्ड पहनाकर ही घर के बाहर लेकर आना अनिवार्य किया जाएगा.
इस नियम को यूपी के बड़े शहरों में लागू करने की योजना है. जल्दी ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा नये साल में लखनऊ में डॉग शेल्टर होम बनाए जाने का लक्ष्य तय किया गया है. फिर इसी तरफ के डाग शेल्टर होम यूपी के बड़े शहरों में बनाए जाएंगे. इसके अलावा आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी करने का अभियान भी हर माह प्रदेश भर में चलाया जाएगा, ताकि आवारा कुत्तों की बढ़ रही संख्या को काबू किया जा सके.
अभिनव वर्मा का कहना है कि यह अभियान इस लिए भी जरूरी है क्योंकि इस लखनऊ में आवारा कुत्तों की संख्या करीब चार लाख है. इस पर अगर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं किया गया तो एक साल के भीतर ही यह संख्या दुगनी हो जाएगी. वह बताते हैं कि एक मादा कुत्ता वर्ष में दो बार बच्चे देती है और एक बार में कम से कम छह से 10 तक बच्चे होते हैं. औसतन इनमें से आधे जीवित रहते हैं. इसलिए आवारा कुत्तों की नसबंदी करने के लिए अभियान चलाया जाना जरूरी है.
चलाया जाएगा पालतू कुत्तों का लाइसेंस जांचने का अभियान :
यह सब करते हुए यूपी के सभी नगर निगम अब पालतू कुत्तों के लाइसेंस बनाए जाने पर ज़ोर देंगे. डॉ. अभिनव वर्मा का कहना है, यूपी के हर बड़े शहर में बिना लाइसेंस कुत्ता पालने की शिकायतें मिल रही हैं. जबकि पालतू कुत्ते का लाइसेंस बनवाना जरूरी है.
पालतू कुत्ते का लाइसेंस तब ही बनाया जाता है जब उसका रैबीज टीकाकरण किया जाएगा. इसके बाद ही नगर निगम की ओर से कुत्ते का लाइसेंस जारी किया जाता है. अब हर नगर निगम इसी महीने पालतू कुत्तों का लाइसेंस जांचने के लिए अभियान चलाएगा.
अभियान के दौरान बिना लाइसेंस कुत्ता पालने वाले से पांच हजार रुपये जुर्माना वसूला जाएगा. जिन्होंने पहले लाइसेंस बनवाया, लेकिन नवीनीकरण नहीं कराया, उनसे प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से विलंब शुल्क लिया जाएगा.
बिना लाइसेंस कुत्ता पालने वालों से जुर्माना और नवीनीकरण न कराने वालों से विलंब शुल्क वसूला जाएगा। जुर्माना जमा न करने पर कुत्ता जब्त भी किया जाएगा.