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UP Nagar Nikay Chunav 2023: 14684 पदों पर चुनाव, यूपी में आदर्श आचार संहिता लागू, यहां देखें आपके शहर में कब है मतदान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 9, 2023 22:00 IST

UP Nagar Nikay Chunav 2023: 17 महापौर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के लिये चुनाव होगा।

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ठळक मुद्देचुनाव दो चरणों में चार मई तथा 11 मई को होगा जबकि 13 मई को मतों की गिनती की होगी।760 नगरीय निकाय चुनाव के अन्तर्गत कुल 14,684 पदों पर चुनाव होंगे।आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए 21 अप्रैल की तारीख तय की है।

UP Nagar Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग ने रविवार को राज्य में नगरीय निकायों के चुनाव की अधिसूचना जारी करते हुये राज्य चुनाव आयुक्त मनोज कुमार ने रविवार को बताया कि चुनाव दो चरणों में चार मई तथा 11 मई को होगा जबकि 13 मई को मतों की गिनती की होगी।

कुमार ने बताया, "राज्य के 760 नगरीय निकाय चुनाव के अन्तर्गत कुल 14,684 पदों पर चुनाव होंगे।" उन्होंने बताया कि इसमें 17 महापौर, 1420 पार्षद, नगर पालिका परिषदों के 199 अध्यक्ष, नगर पालिका परिषदों के 5327 सदस्य, नगर पंचायतों के 544 अध्यक्ष और नगर पंचायतों के 7178 सदस्यों के निर्वाचन के लिये चुनाव होगा।

चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 11 अप्रैल से नामांकन पत्रों की खरीद और जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और यह 17 अप्रैल तक चलेगी। पहले चरण में नामांकन पत्रों की जांच 18 अप्रैल को और नामांकन वापसी के लिए 20 अप्रैल की तारीख तय की गयी है।

आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए 21 अप्रैल की तारीख तय की है। प्रथम चरण का मतदान चार मई को होगा। दूसरे चरण की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि दूसरे चरण में 17 अप्रैल से नामांकन पत्रों की खरीद और जमा करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और यह 24 अप्रैल तक चलेगी। दूसरे चरण में नामांकन पत्रों की जांच 25 अप्रैल को और नामांकन वापसी के लिए 27 अप्रैल की तारीख तय की गयी है।

आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की है। दूसरे चरण का मतदान 11 मई 2023 को होगा, दोनों चरणों की मतगणना 13 मई को होगी। उन्होंने बताया कि सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा, झांसी, प्रयागराज, लखनऊ, देवीपाटन, गोरखपुर और वाराणसी मंडल के 37 जिलों का चुनाव पहले चरण में होगा जबकि मेरठ, बरेली, अलीगढ़, कानपुर, चित्रकूट, अयोध्या, बस्ती, आजमगढ़ और मिर्जापुर मंडल के 38 जिलों का चुनाव दूसरे चरण में कराया जाएगा।

इससे पहले वर्ष 2017 में नगरीय निकाय चुनाव हुए थे जिसकी अपेक्षा अबकी बार कुल 107 निकायों की वृद्धि हुई है। इसमें एक नगर निगम, एक नगर पालिका परिषद और 105 नगर पंचायतें शामिल हैं। 2017 के सापेक्ष इस बार करीब 96 लाख 33 हजार अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

वर्ष 2017 के निकाय चुनाव में तीन करोड़ 35 लाख से ज्यादा मतदाता थे जबकि इस बार 2023 में होने जा रहे चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या चार करोड़ 32 लाख से ज्यादा है। निर्वाचन आयुक्त ने तीन अप्रैल को जारी एक बयान में कहा था कि 'प्रदेश सरकार द्वारा आरक्षण की अंतिम सूचना प्राप्त होने के बाद प्रदेश के नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन-2023 की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।'

आयोग द्वारा निर्वाचन की अधिसूचना जारी करने से पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने रविवार को नगर निगमों के महापौर, नगर परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्षों के लिए अंतिम आरक्षण सूची जारी की। अंतिम अधिसूचना के अनुसार, आगरा के महापौर सीट अनुसूचित जाति (महिला), झांसी की सीट अनुसूचित जाति(एससी), शाहजहांपुर और फिरोजाबाद की सीट ओबीसी (महिला), सहारनपुर और मेरठ की सीट ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग), लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है।

वाराणसी, प्रयागराज, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, अयोध्या, मथुरा-वृंदावन की आठ महापौर सीटें अनारक्षित होंगी। राज्‍य में 760 नगर निकायों के लिए जिसमें 17 नगर निगम की 199 नगर पालिका परिषद की और 544 नगर पंचायतों की आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी गयी है।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 27 मार्च को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी थी। इससे पहले, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के 27 दिसंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

अपील में कहा गया था कि उच्च न्यायालय पिछले साल पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता, जिसके तहत शहरी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए सीट आरक्षण प्रदान किया गया था।

इसमें कहा गया था कि ओबीसी संवैधानिक रूप से संरक्षित एक वर्ग है और उच्च न्यायालय ने मसौदा अधिसूचना को रद्द करने में गलती की है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण प्रदान करने के लिए सभी मुद्दों पर विचार करने के वास्ते पांच सदस्यीय आयोग नियुक्त किया था।

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