UP MLC Election 2023: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधान परिषद की दो सीटों के लिए हुए उपचुनाव में जीत हासिल की। विधान परिषद चुनाव में विपक्षी दलों ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस और बसपा ने सपा प्रत्याशी को वोट नहीं किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।
समाजवादी पार्टी (सपा) को केवल रालोद का ही सहयोग मिल सका। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई विपक्षी नेताओं को साध लिया और 2024 से पहले सपा को एक और मात दी। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया का समर्थन पाने में आगे रहे।
आचार्य का कार्यकाल जनवरी 2027 तक था
इस चुनाव में विपक्षी दल बिखरा नजर आया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बड़ा संदेश दिया और छोटे दल को अपने पाले में खींच लिया। भाजपा के दोनों उम्मीदवारों ने प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशियों को हरा दिया। लक्ष्मण आचार्य के इस्तीफे और बनवारी लाल दोहरे के निधन के बाद इन दोनों सीटों पर उपचुनाव करना जरूरी हो गया था।
सिक्किम के राज्यपाल बनाए गए आचार्य का कार्यकाल जनवरी 2027 तक था जबकि दोहरे का कार्यकाल जुलाई 2028 में समाप्त होना था। निर्वाचन अधिकारी मोहम्मद मुशहिद ने बताया कि भाजपा के मानवेंद्र सिंह को 280 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) के राम जतन राजभर को 115 मत मिले।
भाजपा के पद्मसेन चौधरी को 279 मत मिले
मुशहिद ने कहा कि उपचुनाव में भाजपा के अन्य उम्मीदवार पद्मसेन चौधरी को 279 मत मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के रामकरण को 116 मत मिले। उन्होंने बताया कि दोनों पार्टियों के एक-एक वोट अमान्य करार दिए गए। यह पूछे जाने पर कि सपा उम्मीदवारों के बीच एक वोट का अंतर क्यों है। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ''हम इस मामले को देखेंगे।''
ये उपचुनाव के परिणाम राज्य में हुए शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में सभी महापौर सीटों पर भाजपा की जीत के बाद आए हैं, जबकि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता को एक और झटका लगा जब कांग्रेस विधायकों ने वोट नहीं डाला, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एकमात्र विधायक ने अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए लखनऊ नहीं आ सके।
दोनों वोट भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में थे
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मंत्री जेपीएस राठौर ने कहा, ‘‘क्रॉस वोटिंग का सवाल तभी उठता, जब भाजपा उम्मीदवारों को 274 से कम वोट मिले होते। हमारे उम्मीदवारों में से एक को हमारे संख्या बल (274 में से) से छह वोट ज्यादा मिले, जबकि दूसरे को हमारी संख्या बल से पांच अधिक वोट मिले। अमान्य घोषित किए गए दोनों वोट भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में थे।
लेकिन, उन्होंने अनजाने में (उम्मीदवार के नाम के आगे) टिक मार्क लगा दिया था।’’ उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के 255 विधायक हैं, उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के विधायकों की संख्या 13 है। भाजपा की एक अन्य सहयोगी निषाद पार्टी के छह विधायक हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोनों विजेताओं को बधाई देते हुए एक ट्वीट में कहा, " उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य पद हेतु संपन्न हुए उप-चुनाव में ‘डबल इंजन’ सरकार के प्रत्याशी श्री पद्मसेन चौधरी जी एवं श्री मानवेन्द्र सिंह जी को जीत की हार्दिक बधाई।
कांग्रेस के दो समेत सात विधायकों ने उपचुनाव में वोट नहीं डाला
पूर्ण विश्वास है कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी की दृष्टि के अनुरूप विजयी दोनों सम्मानित सदस्यों का लोकनिष्ठ आचरण, कर्मठता एवं अनुभव 'आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश' के संकल्प की सिद्धि में सहायक होगा। आप सभी के उज्ज्वल कार्यकाल हेतु मंगलकामनाएं।’’
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दो रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनाव में सोमवार को 396 विधायकों ने मतदान किया, जिसके लिए सत्तारूढ़ भाजपा और समाजवादी पार्टी दोनों ने अपने उम्मीदवार उतारे। उत्तर प्रदेश विधानसभा सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के दो समेत सात विधायकों ने उपचुनाव में वोट नहीं डाला।
जिन सात विधायकों ने मतदान नहीं किया, उनमें जेल में बंद तीन विधायक अब्बास अंसारी (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी), इरफान सोलंकी (समाजवादी पार्टी) और रमाकांत यादव (समाजवादी पार्टी) शामिल हैं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘ इसके अलावा कांग्रेस के दो विधायकों, बहुजन समाज पार्टी के एक विधायक और सपा के एक विधायक (मनोज पारस) ने मतदान नहीं किया।’’
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख बृजलाल खबरी ने बताया, ‘‘पार्टी द्वारा विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव में किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान नहीं करने का फैसला किया गया था, इसलिए पार्टी के दोनों विधायकों ने वोट नहीं डाला।’’
कांग्रेस के दो विधायक आराधना मिश्रा और वीरेंद्र चौधरी हैं। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के 255 विधायक हैं, उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के विधायकों की संख्या 13 है। भाजपा की एक अन्य सहयोगी निषाद पार्टी के छह विधायक हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के 109 विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नौ विधायक हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के छह विधायक हैं, कांग्रेस और जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के दो-दो विधायक हैं और विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का एक सदस्य है।
(इनपुट एजेंसी)