तीन तलाक की पीड़िताओं को सरकार देगी हर साल 6000 रुपये, इस राज्य की महिलाओं को मिलेगा लाभ
By भाषा | Updated: September 26, 2019 05:56 IST2019-09-26T05:56:24+5:302019-09-26T05:56:24+5:30
पीएम जन विकास कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार तीन तलाक पीड़िताओं की नि:शुल्क पैरवी करेगी। उनके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, पात्रता के अनुसार उनको केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

प्रतीकात्मक फोटो
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि तीन तलाक पीडिताओं को इंसाफ नहीं मिलने तक सरकार हर पीडिता को साल में छह हजार रूपये देगी। मुख्यमंत्री बुधवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं के साथ संवाद कर रहे थे। उन्होंने ऐसी महिलाओं से कहा, ''बंदिशों और चुनौतियों के बावजूद सदियों से जारी एक कुरिति के खात्मे और अपने हकोहुकूक के लिए संघर्ष का जो जज्बा आप सबने दिखाया वो काबिले तारीफ है।''
उन्होंने कहा, ''आपके सफल संघर्ष से आप जैसी पीड़िताओं को जीने की राह मिली है। उनके संघर्ष का माद्दा बढ़ा है। आपकी लड़ाई जोड़ने और निर्माण की है, लिहाजा इसे हम कतई कमजोर नहीं होने देंगे। इंसाफ नहीं मिलने तक सरकार हर पीड़ित को साल में छह हजार रुपये देगी। पात्रता के अनुसार केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सारी योजनाओं का भी लाभ देंगे।''
पीएम जन विकास कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार तीन तलाक पीड़िताओं की नि:शुल्क पैरवी करेगी। उनके बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, पात्रता के अनुसार उनको केंद्र एवं प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। योग्यता के अनुसार उनको सरकार समायोजित भी करेगी। कौशल विकास कार्यक्रम के तहत रुचि के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर भी बनाया जाएगा।
योगी ने निर्देश दिया कि पीड़ित महिलाओं की पहचान के लिए सभी मंडलों में इसी तरह के कार्यक्रम आयोजित हों। सबके आवेदन लिए जाएं। इनकी समीक्षा अपर मुख्य सचिव गृह स्वयं करें। जांच करने वाले पुलिस अधिकारी की जवाबदेही और दोषी पाए जाने पर उसके लिए दंड भी सुनिश्चित करें। समाज कल्याण और संबंधित विभाग मिलकर तीन तलाक पीड़िताओं के समग्र विकास के लिए ठोस कार्ययोजना बनाकर उसे प्रभावी तरीके से अमल में लाएं। वक्फ की संपत्ति में भी पीड़िताओं को हक दिलाना सुनिश्चित करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिना भेदभाव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक बड़े वर्ग की महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण के लिए जो कदम उठाए गए हैं उसके लिए ''मैं उनकी भी सराहना करता हूं। यह काम तो आजादी के तुरंत बाद हो सकता था। पाकिस्तान सहित दुनिया के 22 देशों में तीन तलाक की कुप्रथा नहीं है। शरीयत में भी इसका जिक्र नहीं है लेकिन धर्मनिरपेक्षता को लबादा पहनकर तुष्टिकरण की राजनीति करने वालों ने इस काम को अपने राजनीतिक हित के नाते नहीं किया।
उच्चतम न्यायालय ने पांच बार ऐसा करने का निर्देश दिया था। शाहबानो मामले के बाद इनका असली चेहरा बेनकाब हो गया।'' कार्यक्रम के शुरू में जौनपुर की रेशमा बानो, अमरोहा की सुमैला जावेद, सिद्धार्थनगर की हसीना, सीतापुर की हिना फातिमा और अलीगढ़ की रूही फातिमा ने आपबीती सुनाई।