बेंगलुरु: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा यूएपीए के तहत गिरफ्तार दो युवकों से मिलने आने वाली केरल की तीन महिलाओं को फर्जी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पेश करने के आरोप में एक महीने की जेल के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, 65 वर्षीय हलीमा, 62 वर्षीय नसीमा और उनकी 31 वर्षीय बहू महसीना केरल के पथानामथिट्टा और कोझीकोड से सितंबर में अपने बेटों फिरोज खान और अंशद बदरुद्दीन से मिलने आई थीं.
पुलिस ने दोनों युवकों को भाजपा शासित राज्य में संवेदनशील स्थानों पर हिंदू नेताओं की हत्या और आतंकी हमलों की साजिश रचने का आरोप लगाते हुए 11 फरवरी को गैर कानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उन्हें दक्षिणपंथी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का सदस्य बताया था जो कि प्रतिबंधित नहीं है.
24 सितंबर को वे कोर्ट में मिलने गई तो उन्हें पेश नहीं किया गया. इसके बाद वे जेल में मिलने गईं तो वहां भी नहीं मिलने दिया गया. अगले उन्हें करीब 30 पुलिसवालों ने आकर होटल से उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
तीन महिलाओं को लखनऊ अतिरिक्त सत्र अदालत द्वारा 23 अक्टूबर को जमानत दी गई और 31 अक्टूबर को रिहा कर दिया गया. 25 सितंबर से 36 दिन जेल में बिताने के बाद वे सोमवार को केरल पहुंचीं.
अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि पुलिस यह पेश कर पाने में विफल साबित हुई कि तीनों महिलाओं को कोविड-19 संक्रमण था और न ही उनका पहले का कोई आपराधिक रिकॉर्ड है.
इस मामले के जांच प्रभारी लखनऊ के गोसाईंगंज पुलिस स्टेशन प्रभारी शैलेंद्र कुमार ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान वे छुट्टी पर थे और मामले के सभी पहलूओं को देखेंगे.