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UP: शिवपाल और चंद्रशेखर सहित 127 दलों को आयोग ने दिया नोटिस, चुनावी खर्चे का हिसाब ना देने पर यूपी में 127 राजनीतिक दलों को नोटिस

By राजेंद्र कुमार | Updated: September 23, 2025 19:13 IST

इन 127 राजनीतिक दलों के अध्यक्ष और महासचिव को 3 अक्टूबर तक अपना प्रत्यावेदन, शपथ-पत्र और संबंधित अभिलेख आयोग के कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया गया है. 

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी को लेकर चुनाव आयोग भी एक्टिव हो गया है. जिसके चलते यही वजह है कि चुनाव आयोग ने चुनावी खर्चे का हिसाब ना देने वाले यूपी के 127 राजनीतिक दलों को नोटिस भेजा है. इन 127 राजनीतिक दलों के अध्यक्ष और महासचिव को 3 अक्टूबर तक अपना प्रत्यावेदन, शपथ-पत्र और संबंधित अभिलेख आयोग के कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया गया है. 

इन राजनीतिक दलों के जवाब पर आयोग में आगामी 6 से और 9 अक्टूबर तक सुनवाई होगी. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिनवा का कहना है कि अगर तय सीमा में राजनीतिक दलों का जवाब आयोग में नहीं आता है तो यह माना जाएगा कि पार्टी के पास कहने को कुछ नहीं है. इसके बाद उक्त राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भारत निर्वाचन आयोग लिखा जाएगा. कहा जा रहा है कि आयोग उक्त दलों के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ तो इन दलों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है. 

इसलिए भेजा गया नोटिस : 

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अनुसार, राज्य में सक्रिय 127 राजनीतिक दलों ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों ( 2021-22, 2022-23 और 2023-24) के वार्षिक लेखापरीक्षित खाते निर्धारित समय सीमा में प्रस्तुत नहीं किए हैं. इसके साथ ही वर्ष 2019 से अब तक हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इस दलों में हिस्सा लिया था, इसके बाद भी इन दलों ने चुनाव खर्च का ब्यौरा आयोग को नहीं दिया है. 

जबकि इन राजनीतिक दलों को विधानसभा चुनाव के बाद 75 दिन और लोकसभा चुनाव के बाद 90 दिन के भीतर चुनाव खर्च का ब्योरा निर्वाचन आयोग के आदेशानुसार जमा करना अनिवार्य है.  इसके बाद भी निर्वाचन आयोग के आदेश का पालन अभी तक इन 127 दलों ने नहीं किया. जिसके चलते सभी दलों को नोटिस भेजी गई है. 

इन पार्टियों को भेजा गया नोटिस : 

जिन 127 राजनीतिक दलों को चुनाव खर्च का ब्यौरा निर्वाचन आयोग को ना दिए जाने के चलते नोटिस भेजा गया है, उनमें समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता शिवपाल सिंह यादव और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ही पार्टी भी शामिल है. शिवपाल सिंह यादव ने सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नाराज होने के बाद 29 अगस्त 2018 को प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, लोहिया (प्रसपा) का गठन किया था. 

इस पार्टी के सिंबल पर शिवपाल सिंह यादव ने वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. फिर मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद दिसंबर 2022 में हुए मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल यादव ने अपनी बहू और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को समर्थन का ऐलान किया और उनके पक्ष में सभाएं भी की थी. इस चुनाव के नतीजों के ऐलान के साथ ही शिवपाल यादव ने प्रसपा के सपा में विलय का ऐलान कर दिया था. 

इसी प्रकार नगीना से सांसद चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी ने भी चुनाव खर्च का ब्यौरा निर्वाचन आयोग को नहीं दिया है. इसके अलावा आदर्शवादी कांग्रेस पार्टी, अभय समाज पार्टी, अखंड राष्ट्रवादी पार्टी, बहुजन पार्टी, जनहित किसान पार्टी, जनता राज पार्टी, हमदर्द पार्टी, लोकदल, लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय अपना दल, राष्ट्रीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी ने भी चुनाव खर्च का ब्यौरा निर्वाचन आयोग को नहीं सौंपा है. 

टॅग्स :शिवपाल यादवउत्तर प्रदेश समाचारचुनाव आयोग
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