Mayawati on UP Results: यूपी चुनाव में बुरी तरह हारने बसपा प्रमुख मायावती ने आज बयान दिया है। उन्होंने कहा है, "यूपी चुनाव के नतीजे बसपा की उम्मीदों के उलट हैं। हमें इससे निराश नहीं होना चाहिए। इसके बजाय हमें इससे सीखना चाहिए, आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और अपने पार्टी आंदोलन को और आगे बढ़ाना चाहिए और सत्ता में वापस आने के बारे में देखा जाएग।" उन्होंने आगे कहा, "2017 से पहले बीजेपी की उत्तर प्रदेश में अच्छी हिस्सेदारी नहीं थी। इसी तरह आज कांग्रेस भी उसी दौर से गुजर रही है जिस दौर से बीजेपी...यूपी चुनाव परिणाम हमारे लिए प्रयास जारी रखने का एक सबक है।"
बसपा भाजपा की बी-टीम है- मायावती ने लगाया दुष्प्रचार का आरोप
मायावती ने अपनी हार के लिए जातिवादी मीडिया को दुष्प्रचार के लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि इस जातिवादी मीडिया ने मुस्लिम और हिंदू समाज के लोगों को खूब गुमराह किया है। उनलोगों ने इन समाज के लोगों से कहा है कि बसपा भाजपा की बी-टीम है। यही कारण है कि बसपा सपा के मुकाबले भाजपा के खिलाफ उस तरज पर चुवाव नहीं लड़ रही है जैसा उसे लड़ना चाहिए। मायावती ने आगे कहा कि सच्चाई इसके बिल्कुल उल्टा है। बसपा भाजपा की लड़ाई अलग-अलग है, लेकिन जातिवादी मीडिया ने दुष्प्रचार कर इसे बसपा को भाजपा के साथ बताया है।
इस पर बोलते हुए मायावती ने आगे कहा, 'इस बार चुनाव में मुसलमानों का वोट एकतरफा सपा की ओर जाता दिखा। ऐसे में मेरे अपने समाज को छोड़कर बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों ने भाजपा को ही वोट दे दिया ताकि सपा का गुंडाराज न आ सके।'
बसपा की लाज उमाशंकर सिंह ने बचाई है
आपको बता दें कि कभी उत्तर प्रदेश की एक बड़ी सियासी ताकत रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मात्र एक सीट पर जीत हासिल कर सकी है। विधानसभा में बहुजन समाज पार्टी विधायक दल के नेता उमाशंकर सिंह बलिया जिले की रसड़ा विधानसभा सीट से 87887 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र से 6583 मतों के अंतर से जीत गए हैं। महेंद्र को 81304 मतों पर ही संतोष करना पड़ा है।
बसपा के लिए इस हार के क्या मायने है
यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे बसपा के लिए काफी चौंकाने वाले परिणाम हैं। राज्य में जहां 22 फीसदी दलित वोटर हैं, वहां बसपा को इस बार केवल 13% ही वोट मिले हैं। यहां आंकड़ा काफी हौरान कर देने वाला है क्योंकि पार्टी को 1993 के बाद इतना कम वोट पहली बार मिला है। इस चुनाव में बसपा को केवल एक ही सीट मिला है जो इसके खराब प्रदर्शन को दर्शाता है। इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी ने अपने बेस वोटरों को खो दिया है। इससे पार्टी के आगे की राह आसान नहीं होगी।
पार्टी के राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर भी पड़ेगा असर
इस चुनाव में बसपा को केवल एक ही सीट मिला है जो इसके खराब प्रदर्शन को दर्शाता है। इस बार के यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी ने अपने बेस वोटरों को खो दिया है। इससे पार्टी के आगे की राह आसान नहीं होगी। पार्टी के इस बार के प्रदर्शन का असर उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे पर भी देखने को मिलेगा और अब विधान परिषद से लेकर संसद तक पार्टी के प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाए जाएंगे।