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UP Assembly Bypolls, 11 सीटों पर उपचुनाव: बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न, सपा, बसपा, कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: October 23, 2019 18:11 IST

UP Assembly Bypolls: यूपी विधानसभा उपचुनावों की 11 सीटों पर होने वाले चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठ का प्रश्न हैं, जबकि कांग्रेस, बीएसपी और सपा के लिए लिटमेस टेस्ट है

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ठळक मुद्देयूपी की 11 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे गुरुवार को आएंगेइन 11 में से आठ सीटों पर बीजेपी का कब्जा, बीजेपी की नजरें रामपुर, जलालपुर सीटें जीतने पर

उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए 24 अक्टूबर को जब नतीजें घोषित किए जाएंगे तो साफ हो जाएगा कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में चला बीजेपी का जादू बरकरार है या फिर विपक्षी दलों ने वापसी करनी शुरू कर दी है। 

इन 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव केलिए सोमवार को वोट डाले गए थे, जबकि इन चुनावों के नतीजे 24 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। इन 11 विधानसभा सीटों में से आठ पर बीजेपी का कब्जा था जबकि एक पर उसके सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। 

वहीं रामपुर और जलालपुर (आंबेडकरनगर) पर क्रमश: समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजपार्टी के उम्मीदवार जीते थे। इन 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी, बीएसपी, सपा और कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। 

यूपी की इन 11 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की इन 11 विधानसभा सीटों में गंगोह, रामपुर, इगलास (एससी), लखनऊ कैंटोनमेंट, गोविंदनगर, मानिकपुर, प्रतापगढ़, जैदपुर (एससी), जलालपुर, बाल्हा (एसीसी) और घोसी सीटें शामिल हैं। इन सीटों पर उपचुनाव इसलिए जरूरी हो गए थे, क्योंकि यहां से चुने गए कुछ विधायकों ने सांसद बनने के बाद विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।

यूपी विधानसभा उपचुनाव: बीजेपी और विपक्ष के लिए लिटमस टेस्ट

यूपी की इन 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा है। जहां बीजेपी की नजरें सपा और आजम खान का गढ़ माने जाने वाली रामपुर सीट और बसपा से जलालपुर सीट छीनने पर है तो वहीं विपक्ष पिछले साल हुए गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा उपचुनावों में मिली अपनी सफलता दोहराने की कोशिश में है। 

खासतौर पर कांग्रेस की नजरें इन विधानसभा उपचुनावों में अपना प्रदर्शन बेहतर करने पर होंगी, जो 2019 लोकसभा चुनावों में सिर्फ रायबरेली (सोनिया गांधी जीती थीं) को छोड़कर एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि बीजेपी ने अकले 62 और सहयोगी दलों समेत 64 सीटें जीती थीं। 

वहीं इन चुनावों में साथ मिलकर लड़ने वाला सपा और बसपा का गठंबधन 15 सीटें जीत पाया था और चुनावों के बाद दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए थे। सपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था।   

उत्तर प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में बीजेपी के 302 विधायक, जबकि सपा के 47 और बसपा के 18 विधायक हैं। वहीं बीजेपी के सहयोगी अपना दल के 8 और कांग्रेस के 7 विधायक हैं।

इन विधानसभा उपचुनाव नतीजों से ये भी साबित हो जाएगा कि क्या बीजेपी का जादू जस का तस बरकरार है या फिर 2022 विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष मनोबल बढ़ाने वाली जीत हासिल कर पाएगा? 

टॅग्स :असेंबली इलेक्शन 2019विधानसभा चुनावभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)उत्तर प्रदेशबहुजन समाज पार्टी (बसपा)समाजवादी पार्टीकांग्रेस
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