पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा वैश्विक आतंकवादी के तौर पर चिह्नित किए जाने के प्रस्ताव पर चीन ने विरोध कर दिया है। 2009 के बाद से यह तीसरी बार है जब अड़ंगा डाल चुका है ।
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा, 'हम निराश हैं। लेकिन हम सभी उपलब्ध विकल्पों पर काम करते रहेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारतीय नागरिकों पर हुए हमलों में शामिल आतंकवादियों को न्याय के कठघरे में खड़ा किया जाए।'
मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम उन देशों के आभारी हैं जिन्होंने अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने की कवायद में हमारा समर्थन किया है।’’ इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा सेंक्शन्स कमेटी के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने लाया था।
पुलवामा हमले के बाद, अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव फ्रांस, ब्रिटेन एवं अमेरिका की ओर से 27 फरवरी को रखा गया था।
फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा लाए गए आपत्ति उठाने के लिए 10 कार्यदिवस का समय था। यह अवधि बुधवार दोपहर (न्यूयार्क के समयानुसार) तीन बजे (भारतीय समयानुसार साढ़े 12 बजे रात बृहस्पतिवार) खत्म हुई ।
समिति अपने सदस्यों की सर्वसम्मति से फैसले लेती है। अलकायदा प्रतिबंध समिति के सूचीबद्ध नियमों के तहत अगर किसी भी सदस्य की ओर से कोई आपत्ति नहीं उठाई गई तो फैसले को स्वीकृत माना जाता। लेकिन अब जब चीन ने इसका विरोध किया है तो अजहर को संयुक्त राष्ट्र चिह्वित वैश्विक आतंकवादी नहीं माना जाएगा।
अजहर को वैश्विक आतंकवादी के तौर पर चिह्नित कराए जाने का यह पिछले 10 साल में किया गया चौथा प्रयास है।
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत ने इस्लामाबाद के खिलाफ कूटनीतिक अभियान तेज करते हुए 25 देशों के दूतों को इस बारे में अवगत कराया था। इसमें यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य- अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस को पाकिस्तान की भूमिका से वाकिफ कराया गया ।