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केंद्रीय मंत्रिमंडल फैसलाः केंद्र सरकार ने बदला नाम, कोलकाता स्थित जोका में राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नाम बदलने को मंजूरी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 11, 2023 19:40 IST

कोलकाता स्थित जोका में राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नामकरण ‘डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल एवं स्वच्छता संस्थान करने को कार्योत्तर मंजूरी दी गई।

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ठळक मुद्देपश्चिम बंगाल के कोलकाता में जोका स्थित डायमंड हार्बर रोड पर 8.72 एकड़ में स्थापित है।स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में अग्रिम मोर्चे पर तैनात कार्यबल के लिए की गई है।ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के लिए भी की गई है।

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोलकाता स्थित जोका में राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नामकरण ‘डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल एवं स्वच्छता संस्थान’ करने को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

उन्होंने बताया कि कोलकाता स्थित जोका में राष्ट्रीय पेयजल, स्वच्छता एवं गुणवत्ता केंद्र का नामकरण ‘डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय जल एवं स्वच्छता संस्थान करने को कार्योत्तर मंजूरी दी गई। सरकारी बयान के अनुसार, यह संस्थान पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जोका स्थित डायमंड हार्बर रोड पर 8.72 एकड़ में स्थापित है।

यह संस्थान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, पेयजल, स्वच्छता एवं साफ सफाई के क्षेत्र में क्षमता उन्नयन संबंधी उत्कृष्ठ संस्था है। बयान के अनुसार, इन क्षमताओं की परिकल्पना न केवल स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में अग्रिम मोर्चे पर तैनात कार्यबल के लिए की गई है।

बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर के स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के लिए भी की गई है। इस संस्थान में प्रशिक्षण की सुविधा के लिए जल, स्वच्छता और साफ-सफाई प्रौद्योगिकियों के चालू और लघु मॉडल भी स्थापित किए गए हैं। दिसंबर, 2022 में प्रधानमंत्री द्वारा इस संस्थान का उद्घाटन किया गया था।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की तीन नई सहकारी समितियों के गठन को हरी झंडी

सरकार ने जैविक उत्पाद, बीज और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए तीन नई सहकारी समितियों के गठन का फैसला किया है। बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर की सहकारी जैविक समिति, सहकारी बीज समिति एवं सहकारी निर्यात समिति का पंजीकरण किया जायेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया गया। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इस संदर्भ में, मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जो 'सहकार से समृद्धि' के हमारे दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।’’ मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय श्रम एवं रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सहकारिता- ग्रामीण भारत का अहम हिस्सा है और मंत्रिमंडल ने 35 साल बाद तीन नई बहु सहकारी समितियां गठित करने का अहम फैसला लिया है।

बहु-राज्यीय सहकारिता समिति कानून 1984 में लागू किया गया था। वर्ष 1987 में इस कानून के तहत ट्राइफेड (ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) को एक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था के रूप में स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि 35 साल बाद तीन नई बहुराज्य सहकारी समितियां स्थापित की जायेंगी।

उन्होंने कहा कि ये समितियां ग्रामीण विकास और किसानों की आय को बढ़ाकर ‘सहकार से समृद्धि’ (सहकारिता के माध्यम से समृद्धि) के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मंत्री ने कहा कि प्राथमिक समितियां, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के महासंघ, बहु-राज्य सहकारी समितियां और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) सहित सहकारिता सोसायटी इन नई सहकारी समितियों के सदस्य बन सकते हैं। यादव ने कहा, ‘‘इन सभी सहकारी समितियों के उपनियमों के अनुसार समिति के निदेशक मंडल में उनके निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे।’’

देश में लगभग 8.5 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं जिनमें 29 करोड़ सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि इन तीन राष्ट्रीय स्तर की सहकारी समितियों की स्थापना से ग्रामीण विकास होगा। प्रस्तावित निर्यात समिति की भूमिका के बारे में बताते हुए सहकारिता मंत्रालय ने कहा कि यह निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख संगठन के रूप में कार्य करके सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी।

यह सहकारी समितियों को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात-संबंधी योजनाओं और नीतियों से एक केंद्रित तरीके से लाभ प्राप्त करने में भी मदद करेगी। मूल रूप से, यह वैश्विक बाजार में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को उन्मुक्त करने में मदद करेगा।

मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित सहकारी जैविक समिति - घरेलू और वैश्विक बाजारों में जैविक उत्पादों की मांग और खपत क्षमता को खोलने में मदद करेगी। यह प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पाद प्रदान करके जैविक क्षेत्र से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का प्रबंधन करेगी।

यह सहकारी समितियों और अंततः उनके किसान सदस्यों को सस्ती कीमत पर परीक्षण और प्रमाणन की सुविधा देकर बड़े पैमाने पर एकत्रीकरण, ब्रांडिंग और विपणन के माध्यम से जैविक उत्पादों की उच्च कीमत का लाभ प्राप्त करने में मदद करेगी।

यह जैविक उत्पादकों के लिए तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की सुविधा के साथ-साथ उनके लिए एक समर्पित बाजार आसूचना प्रणाली विकसित करने और बनाए रखने के अलावा निर्यात विपणन के लिए राष्ट्रीय सहकारी निर्यात समिति की सेवाओं का उपयोग करेगी।

जहां तक बीज सहकारी समिति का मामला है, मंत्रालय ने कहा कि यह गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण, विपणन और वितरण के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। यह संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से देशभर में विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और प्रचार के लिए एक प्रणाली विकसित करेगी।

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