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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा- संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में पेरिस समझौते पर कार्रवाई पर अधिक ध्यान केंद्रित हो

By भाषा | Updated: December 10, 2019 05:21 IST

फ्रांस की राजधानी में 2015 में आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ‘कॉप 21’ में पेरिस समझौते को 195 सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका लक्ष्य खतरनाक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है।

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भारत ने सोमवार को कहा कि मेड्रिड में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में नए मुद्दे उठाने की जगह पेरिस जलवायु समझौते पर कार्रवाई करने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए क्योंकि जब तक 2015 के करार को लागू नहीं कर दिया जाता, तब तक नए लक्ष्यों के बारे में बात करना निरर्थक होगा। सम्मेलन में भाग लेने यहां पहुंचे पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, “कॉप 25 (सम्मेलन) से भारत की अपेक्षा है कि हम पेरिस समझौते पर कार्रवाई करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करें और नए मुद्दों और विषयों को न उठाएं।”

फ्रांस की राजधानी में 2015 में आयोजित हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन ‘कॉप 21’ में पेरिस समझौते को 195 सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसका लक्ष्य खतरनाक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। अमेरिका को छोड़कर जी-20 समूह के उन्नीस सदस्य देशों ने समझौते का पालन करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी।

पेरिस समझौते का लक्ष्य वैश्विक औसत तापमान में बढ़ोतरी को रोकना है और उसे दो डिग्री सेल्सियस से कम रखना है। दो दिसंबर से मेड्रिड में शुरू हुए कॉप 25 सम्मेलन में मीडिया से बात करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) और अन्य संगठनों के अनुसार पेरिस समझौते का पालन करने वाले देशों में भारत शीर्ष पांच में शामिल है।

जावड़ेकर ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत ‘संभवतः’ उन कुछ देशों में से एक है जहाँ हरित क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा, “ताजा आंकड़ों के अनुसार हमने वन के बाहर वन क्षेत्र और वृक्ष क्षेत्र में 13,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि की है। किसी भी देश की तुलना में यह बड़ी उपलब्धि है और इसीलिए भारत सभी देशों से यह मांग करता है कि वे पहले पेरिस समझौते का पालन करें। पेरिस समझौते को लागू करने से पहले नए लक्ष्य और चुनौतियों की बात करना व्यर्थ होगा।”

उन्होंने कहा कि भारत पेरिस समझौते को नहीं भूलेगा क्योंकि वह ‘ऐतिहासिक वादा’ था और ‘क्योटो प्रोटोकॉल’ पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्य देशों को अवश्य ही जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जावड़ेकर ने कहा कि 2020 के पूर्व के लक्ष्यों को किनारे कर हर बार नई चुनौतियाँ सामने नहीं लाई जा सकतीं और भारत पेरिस समझौते पर काम करने के लिए संकल्पबद्ध है। 

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