पुलवामा में हुई मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकवादी मारे गए
By भाषा | Updated: December 1, 2021 19:55 IST2021-12-01T19:55:51+5:302021-12-01T19:55:51+5:30

पुलवामा में हुई मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकवादी मारे गए
श्रीनगर, एक दिसंबर सेना ने बुधवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में हुई मुठभेड़ में आईईडी बनाने में माहिर जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के आतंकवादी कमांडर यासिर पर्रे और एक विदेशी आतंकी को ढेर कर बड़ी सफलता हासिल की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सेना ने पर्रे के गृह ग्राम कसबयार में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में पुलिस से सूचना मिलने के बाद मंगलवार रात 11 बजे इलाके में अभियान शुरू किया था।
अधिकारियों ने कहा कि 44 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल ए.के. सिंह ने अभियान का नेतृत्व किया और सुनिश्चित किया कि सुरक्षा कर्मियों को कोई नुकसान न हो।
उन्होंने बताया कि तड़के तीन बजे दो आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई क्योंकि वे ऊपरी मंजिल और छत के बीच बने मचान में छिपे थे।
जून, 2019 में अरिहाल-पुलवामा मार्ग से गुजर रहे 44 राष्ट्रीय राइफल्स के बहु-वाहन गश्ती दल पर आईईडी विस्फोट के पीछे 'बी' श्रेणी के ईनामी आतंकवादी पर्रे का हाथ था। इस घटना में दो जवान शहीद हो गए थे और 17 घायल हो गए थे।
साल 2019 में घटना के बाद भावुक हुए कर्नल सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, ''तुम (आतंकवादी) चाहे कहीं भी छिप जाओ, हम तुम्हें ढूंढ लेंगे, तुम्हारा खात्मा कर देंगे... क्योंकि हम कभी नहीं भूलते, कभी माफ नहीं करते।''
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को पूरे अभियान की निगरानी करते हुए कर्नल सिंह ने पर्रे के पिता को उसके आत्मसमर्पण के लिए बुलाया, लेकिन फुरकान नामक विदेशी आतंकवादी ने भारी गोलीबारी की, जिसके चलते बात नहीं बन सकी।
पर्रे ने दक्षिण कश्मीर में जैश आतंकी समूह के विभिन्न समूहों का मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 2018 के अंत में उसके शामिल होने के बाद यह प्रतिबंधित आतंकवादी समूह पैर पसारने लगा।
अधिकारियों ने कहा कि बुधवार सुबह 8 बजकर 45 मिनट पर अभियान खत्म होने के बाद इलाके से दो एके सीरीज राइफल, 12 ग्रेनेड सहित दो यूजीबीएल, कई एके मैग्जीन और कारतूस बरामद हुए।
श्रीनगर में सेना के प्रवक्ता के अनुसार, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फुरकान उर्फ अली भाई को 'ए प्लस' श्रेणी का क्रूर पाकिस्तानी आतंकवादी बताया है। माना जाता है कि वह जो जून, 2020 से जैश-ए-मोहम्मद में सक्रिय था। उसे युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और हथियार उठाकर निर्दोष स्थानीय लोगों व प्रमुख व्यापारियों पर अत्याचार करने के प्रति उकसाने के लिये कश्मीर भेजा गया था।
माना जाता है कि पर्रे विभिन्न पाकिस्तानी आंतकवादियों से जुड़ा था और वह उन्हें कश्मीर लाने के लिये मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता था।
प्रवक्ता ने कहा कि पर्रे को पाकिस्तानी आतंकवादी अबू सैफुल्ला उर्फ लंबू का एक सहयोगी माना जाता था, जिसने फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हमले की योजना बनाई थी। उस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।