26 दिसंबर को नरेंद्र मोदी सरकार संसद में तीन तलाक को लेकर बिल पेश करने जा रही है। इससे पहले ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसके विरोध में उतर आया है। बोर्ड ने लखनऊ में इसको लेकर आपात बैठक बुलाई, जिसमें इस बिल को महिला विरोधी बताया गया है। कई घंटे चली बैठक के बाद बोर्ड ने इस बिल को खारिज करने का निर्णय लिया है। साथ ही तीन साल की सजा देने वाले प्रस्तावित मसौदे को क्रिमिनल एक्ट करार दिया। बोर्ड की बैठक में तीन तलाक पर कानून को महिलाओं की आजादी में दखल कहा गया है और मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप व शरीयत के खिलाफ बताया गया।
इस बैठक में बोर्ड की वर्किंग कमेटी के सभी 51 सदस्यों को बुलाया गया था, जिसमें महज 19 लोग ही पहुंचे। घंटों चली इस बैठक में मुख्य रूप से बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी, बोर्ड के महासचिव मौलना सईद वली रहमानी के अलावा सेक्रेटरी मौलना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, खलीलुल रहमान सज्जाद नौमानी, मौलाना फजलुर रहीम, मौलाना सलमान हुसैनी नदवी भी शिरकत करने पहुंचे। इसके अलावा बैठक में एमआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी पहुंचे थे।
बोर्ड के प्रवक्ता खलीलुल रहमान सज्जाद नौमानी का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को निष्प्रभावी बताया है तो इसके लिए सजा कैसी। बिल को बनाते समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, मुस्लिम समुदाय और मुस्लिम ख्वातीनों की नुमाइंदगी करने वाले संगठनों से मशविरा नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर बिल को बनाने के लिए कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। इस मसले को लेकर बोर्ड अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। साथ ही इस बिल को वापस लेने के लिए अनुरोध करेंगे।