दिल्ली: पूर्व नौकरशाह और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन कुमार वर्मा ने शुक्रवार को पार्टी की राष्ट्रीय प्रमुख ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। पवन कुमार वर्मा तृणमूल कांग्रेस में आने से पहले नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में हुआ करते थे।
वर्मा द्वारा तृणमूल से इस्तीफा देने के पीछे नीतीश कुमार द्वारा एनडीए छोड़कर विपक्ष की राजनीति में शामिल होने को माना जा रहा है। कयास लग रहे हैं कि वर्मा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा महागठबंधन में लौटने पर नाखुश हैं और उन्हें आशंका है कि आने वाले समय में नीतीश कुमार विपक्ष की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस के नजदीक आ सकते हैं।
पवन वर्मा ने अपने इस्तीफे के संबंध में ट्विटर पर लिखा, "कृपया तृणमूल कांग्रेस से मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। मुझे आप द्वारा दिए गए गर्मजोशी भरे स्वागत, स्नेह और शिष्टाचार के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। भविष्य के लिए आपको शुभकामनाएं देता हूं, भविष्य में आपके साथ संपर्क में रहने का प्रयास करूंगा।"
मालूम हो कि जदयू से राज्यसभा सांसद रहे पवन कुमार वर्मा राजनीति में आने से पहले आईएएस अधिकारी थे। वर्मा पिछले साल यह कहते हुए टीएमसी में शामिल हुए थे कि वो विपक्ष को मजबूत करने की दिशा में काम करने के लिए तृणमूल से जुड़ रहे हैं।
नीतीश कुमार पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने साल 2020 में पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा और देश के जानेमाने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जब उन्होंने मोदी सरकार के विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का जोरदार विरोध किया था।
चूंकि उस समय बिहार में नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से बिहार में सरकार चला रहे थे, इस कारण उन्होंने वर्मा और किशोर द्वारा सीएए-एनआरसी के विरोध को गलत ठहराते हुए पार्टी के खिलाफ अनुशासनहीनता माना था और इस कारण दोनों को निष्कासित कर दिया था। लेकिन चूंकि अब नीतीश कुमार एनडीए से स्वतंत्र हो गये हैं और बिहार में भाजपा के नमस्ते करते हुए राजद के साथ मिलकर सरकार बना ली है।
इस कारण पवन कुमार वर्मा सरीखे नेताओं को डर है कि कहीं नीतीश कुमार विपक्षी नेता के सर्वमान्य खाली स्पेस पर कब्जा कर लेंगे और इसके लिए वो तृणमूल के करीब आ सकते हैं। संभवतः इस कारण उन्होंने पार्टी से किनारा करने का फैसला किया है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)