टूलकिट मामला: रमन सिंह, संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिकाएं खारिज

By भाषा | Published: September 22, 2021 02:11 PM2021-09-22T14:11:52+5:302021-09-22T14:11:52+5:30

Toolkit case: Chhattisgarh government's petitions challenging stay on investigation against Raman Singh, Sambit Patra dismissed | टूलकिट मामला: रमन सिंह, संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिकाएं खारिज

टूलकिट मामला: रमन सिंह, संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिकाएं खारिज

नयी दिल्ली, 22 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने कथित रूप से फर्जी टूलकिट मामले संबंधी ट्वीट को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सांघवी से कहा, ‘‘इस मामले पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को फैसला करने दीजिए। हम जानते हैं कि पूरे देश में इस टूलकिट मामले में कई लोगों ने विभिन्न अदालतों में रोक लगाने की याचिकाएं दायर की हैं। हमें इस मामले को अलग से प्राथमिकता क्यों देनी चाहिए।’’

उच्च न्यायालय ने 11 जून को एक ही प्राथमिकी में दो अलग-अलग आदेश पारित किए थे और सिंह एवं पात्रा के खिलाफ दायर प्राथमिकी के संदर्भ में उन्हें अंतरिम राहत दी थी। अदालत ने कहा था कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप दर्शाते हैं कि ‘‘ट्वीट ने कांग्रेस नेताओं को क्रोधित किया। यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ट्वीट ने सार्वजनिक शांति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला और यह दो राजनीतिक दलों के बीच केवल राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का मामला है।’’

मामले में सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को आपराधिक मामले में भाजपा नेताओं की याचिकाओं पर फैसला करने दीजिए।

सिंघवी ने उच्च न्यायालय के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘आप टिप्पणियां देखिए, इस चरण पर उच्च न्यायालय क्या फैसला करेगी। यदि मैं वहां जाता भी हूं, तो याचिका पर ईमानदारी से सुनवाई होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने कहा था कि याचिकाकर्ता राजनीतिक लोग हैं और उसने निष्कर्ष दर्ज किया था कि कोई मामला नहीं बनता, तो ‘‘अब मेरे लिए बचा क्या है, जो मैं वापस वहां (उच्च न्यायालय के पास) जाऊं।’’’

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘अपनी ऊर्जा यहां व्यर्थ मत कीजिए। हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। उच्च न्यायालय को मामले पर तेजी से फैसला करने दीजिए। हम विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) को खारिज करते हैं। इस मामले पर टिप्पिणयों से प्रभावित हुए बिना योग्यता के आधार पर फैसला किया जाए।’’

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से फर्जी टूलकिट मामले संबंधी याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया।

इससे पहले, वकील सुमीर सोढी के जरिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कथित फर्जी टूलकिट मामले में भाजपा नेता सिंह तथा पार्टी प्रवक्ता पात्रा के ट्वीट को लेकर दर्ज प्राथमिकी में जांच पर रोक के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि मौजूदा प्राथमिकी किसी राजनीतिक मकसद से दर्ज की गई है।’’

राज्य सरकार ने रमन सिंह मामले में आदेश के खिलाफ अपनी अपील में कहा कि 11 जून को दाखिले के स्तर पर, उच्च न्यायालय ने न केवल तुच्छ याचिका को स्वीकार किया बल्कि प्राथमिकी के सिलसिले में जांच पर रोक लगाकर आरोपी/प्रतिवादी संख्या 1 (रमन सिंह) को गलती से अंतरिम राहत प्रदान कर दी।

राज्य सरकार ने इस आधार पर आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय ने बार-बार यह कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के विशेष अधिकारों का इस्तेमाल कम से कम और दुर्लभतम मामलों में किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय ने इस तरह के अधिकारियों का उपयोग करने और पूरी जांच पर प्रारंभिक चरण में रोक लगाने में गलती की है, खासकर तब जब जालसाजी का पूर्व दृष्टया अपराध बनता है।

राज्य सरकार ने कहा कि वह कानून के अनुसार जांच कर रही है और महामारी को देखते हुए, अपने आचरण में निष्पक्ष रही है तथा आरोपी को भेजे गए नोटिस के अनुसार अपने घर पर उपस्थित होने का मौका दिया गया था और जब उन्हें दूसरा नोटिस भेजा गया तो उन्हें अपने वकील के माध्यम से पेश होने का विकल्प दिया गया था।

संबित पात्रा के मामले में दायर अपील में भी यही आधार बताया गया है और आदेश रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

कांगेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत पर 19 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि सिंह, पात्रा और अन्य लोगों ने कांग्रेस पार्टी के फर्जी लेटरहेड का इस्तेमाल कर मनगढ़ंत सामग्री सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट की और इसे पार्टी द्वारा विकसित टूलकिट के रूप में पेश किया।

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Web Title: Toolkit case: Chhattisgarh government's petitions challenging stay on investigation against Raman Singh, Sambit Patra dismissed

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