समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने की अभिषेक बनर्जी ने की पैरवी, कहा- हर किसी को जीवनसाथी चुनने का अधिकार
By मनाली रस्तोगी | Updated: April 21, 2023 08:54 IST2023-04-21T08:53:00+5:302023-04-21T08:54:44+5:30
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन मुझे लगता है कि प्यार का कोई धर्म, जाति या पंथ नहीं होता है।

(फाइल फोटो)
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने की पैरवी की। उन्होंने कहा, "हर किसी को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है, प्यार की कोई सीमा नहीं होती। अगर मैं अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनना चाहता हूं, अगर मैं पुरुष हूं और मुझे पुरुष से प्यार है, अगर मैं एक महिला हूं, तो मुझे महिला से प्यार है...उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट लोकाचार के पक्ष में फैसला सुनाएगा हमें गर्व है।"
उन्होंने केंद्र सरकार पर इस मामले को जानबूझकर लटकाने का आरोप भी लगाया। बनर्जी ने कहा, "मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। लेकिन मुझे लगता है कि प्यार का कोई धर्म, जाति या पंथ नहीं होता है। चाहे वह पुरुष हो या महिला, हर किसी को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है।"
#WATCH | "Everyone has the right to choose their own respective life partner, love has no limit. If I want to choose a life partner of my choice, if I'm a man & I'm fond of man, if I'm a woman, I'm fond of woman...hopeful SC will rule in favour of ethos we take pride in": TMC Gen… pic.twitter.com/jEuAyK4OnK
— ANI (@ANI) April 21, 2023
सरकार द्वारा समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई में सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पक्ष बनाए जाने की अपील को लेकर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर करने के सवाल पर बनर्जी ने कहा कि सरकार इस मामले को जानबूझकर लटका रही है। उन्होंने कहा, "ऐसे हथकंडे बेवजह मामले को लटकाते हैं। अगर वे राय लेने के बारे में इतने गंभीर थे, तो पिछले सात वर्षों में ऐसा कर सकते थे। वे इस मामले को बेवजह लटकाए रखना चाहते हैं।"
(भाषा इनपुट के साथ)