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तीरथ सिंह रावत के ‘संकट‘ से ममता की मुश्किलें भी बढ़ीं, जानिए क्यों बंगाल की सीएम के लिए बन रहे ऐसे हालात

By अभिषेक पारीक | Updated: July 3, 2021 14:58 IST

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने करीब चार महीने पहले शपथ ली थी। शुक्रवार रात को उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है।

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ठळक मुद्देउत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।कोरोना के चलते उपचुनाव नहीं हो सके और रावत ने संवैधानिक संकट को इस्तीफे की वजह करार दिया है। रावत के इस्तीफे को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देखा जा रहा है। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने करीब चार महीने पहले शपथ ली थी। शुक्रवार रात को उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है। हालांकि इस इस्तीफे के बाद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देखा जा रहा है। 

तीरथ सिंह रावत का मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने में विधायक बनना जरूरी था। हालांकि कोरोना के चलते उपचुनाव  नहीं हो सके और खुद रावत ने संवैधानिक संकट को इस्तीफे की वजह करार दिया है। 

तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद इसे ममता बनर्जी के लिए भी संकट माना जा रहा है। ममता बनर्जी चुनाव हार गईं थी और फिलहाल विधानसभा सदस्य नहीं हैं। कोरोना के चलते यदि बंगाल में भी अगले कुछ महीनों में चुनाव नहीं होते हैं तो ममता बनर्जी के सामने भी तरीथ सिंह रावत जैसा ही संकट खड़ा हो सकता है। 

क्या कहता है नियम

यदि कोई व्यक्ति विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य नहीं है तो ऐसे में मुख्यमंत्री या मंत्री पद पर सिर्फ छह महीने तक ही रह सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक, यदि कोई मुख्यमंत्री या मंत्री इन दोनों सदनों में से छह महीने तक किसी का भी सदस्य नहीं रहता है तो उसका मंत्री पद इस अवधि में समाप्त हो जाएगा। 

मार्च में ली थी मुख्यमंत्री पद की शपथ

तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। हालांकि वे राज्य विधानसभा के सदस्य नहीं थे। उन्हें 10 सितंबर 2021 तक राज्य विधानसभा सदस्य बनना था। हालांकि कोरोना संकट के चलते उपचुनाव कराए जाने की स्थिति नहीं बन रही है। राज्य में दो सीटें खाली हैं। 

चुनाव आयोग भी है सतर्क

कोरोना संकट के दौरान देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे। जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को ही दूसरी लहर का जिम्मेदार बताते हुए अधिकारियों पर मर्डर के आरोप लगाने की बात कही थी। ऐसे में चुनाव आयोग अब फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच चुनाव आयोग शायद ही चुनाव कराने का खतरा उठाए।  

टॅग्स :उत्तराखण्डममता बनर्जीतीरथ सिंह रावतपश्चिम बंगाल
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