US पैनल ने कहा- भारत के लिए जम्मू-कश्मीर में पाबंदियां हटाने का समय है
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 8, 2019 08:46 AM2019-10-08T08:46:55+5:302019-10-08T09:03:10+5:30
भारत सरकार के 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र प्रशासित प्रदेश बनाने की घोषणा करने के बाद से ही कश्मीर में पाबंदियां लगी हैं।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर 22 अक्टूबर को निर्धारित अमेरिकी कांग्रेस पैनल की सुनवाई से पहले हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने कहा कि कश्मीर में संचार पर प्रतिबंध लगाना 'हानिकारक प्रभाव' पड़ सकता है और भारत के पास इन प्रतिबंधों को हटाने का समय है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने सोमवार (07 अक्टूबर) को एक ट्वीट किया। जिसमें कहा कि भारत का कश्मीर में संचार पर रोक लगाने से कश्मीरियों के जीवन और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
ट्वीट में कहा कि भारत के लिए इन प्रतिबंधों को हटाने और कश्मीरियों को किसी भी अन्य भारतीय नागरिक के समान अधिकार और विशेषाधिकार देने का समय है।
इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस की उप-समिति ने कहा था कि वह कश्मीर को केंद्र में रखते हुए 22 अक्टूबर को दक्षिण एशिया में मानवाधिकार की स्थिति पर एक सुनवाई करेगी। एशिया मामलों पर प्रतिनिधि सभा की उपसमिति के अध्यक्ष ब्रैड शरमन ने कहा था कि अमेरिका की दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस वेल्स सुनवाई में गवाही देंगी।
वहीं, शरमन ने कहा था कि सुनवाई कश्मीर पर केन्द्रित होगी, जहां कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और जनजीवन, इंटरनेट, दूरसंचार सेवाएं प्रभावित हैं।
भारत सरकार के 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केन्द्र प्रशासित प्रदेश बनाने की घोषणा करने के बाद से ही कश्मीर में पाबंदियां लगी हैं। भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को ‘‘आंतरिक मामला’’ बताया है और कहा कि ये पाबंदियां पाकिस्तान को आतंकवादियों के माध्यम से नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए लगाई गई हैं।
भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल सहित 13 अमेरिकी सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर चिंताओं को दूर करने और संचार सेवाओं को बहाल करने की अपील की थी जिसके करीब एक महीने बाद ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी’ ने मामले पर अपना रुख स्पष्ट किया है।