भारत और पश्चिमी देशों की आबादी की पाचन प्रणालियों में मौजूद जीवाणुओं में है अंतर : अध्ययन

By भाषा | Published: November 9, 2021 04:35 PM2021-11-09T16:35:46+5:302021-11-09T16:35:46+5:30

There is a difference in the bacteria present in the digestive systems of the population of India and Western countries: Study | भारत और पश्चिमी देशों की आबादी की पाचन प्रणालियों में मौजूद जीवाणुओं में है अंतर : अध्ययन

भारत और पश्चिमी देशों की आबादी की पाचन प्रणालियों में मौजूद जीवाणुओं में है अंतर : अध्ययन

नयी दिल्ली, नौ नवंबर भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल ने भारत और पश्चिमी देशों की आबादी में विभिन्न आहार पद्धतियों के चलते पाचन प्रणाली में मौजूद जीवाणुओं के समूह में अंतर पाया है।

यह अनुसंधान अमेरिका के साउथ डकोटा यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया गया। इसमें इन जीवाणुओं और इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आईबीएस) जैसे सूजन संबंधी रोगों के बीच संबंध भी पाया गया।

अध्ययन में कहा गया है कि इन दो क्षेत्रों में आहार पद्धति में अंतर के चलते ये चीजें देखने को मिली हैं। दरअसल, भारतीय आहार कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर में पश्चिमी देशों की आहार पद्धति से कहीं अधिक परिपूर्ण हैं।

यह अध्ययन नेचर पोर्टफोलिया जर्नल बायोफिल्म ऐंड माइक्रोबायोम्स में प्रकाशित हुआ है।

मानव की पाचन प्रणाली में 300 से 500 प्रकार के जीवाणु मौजूद होते हैं, जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। ये जीवाणु पाचन में मदद करते हैं, संक्रमण से बचाते हैं और यहां तक कि शरीर को आवश्यक विटामिन एवं न्यूरोकेमिकल भी उत्पनन्न करते हैं।

जर्मन वैज्ञानिकों ने 2011 में पाचन प्रणाली में जीवाणु की संख्या के आधार पर मानव को तीन समूहों--प्रीवोटेला, बैक्टेरोइड्स और रूमीनोकोकस-- में वर्गीकृत किया था।

आईआईएसईआर भोपाल के बायोलॉजिकल साइंसेज विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर विनीत के शर्मा ने कहा, ‘‘भारत में किये गये अध्ययन में हमारी टीम ने मध्य प्रदेश, दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, राजस्थान और महाराष्ट्र, बिहार तथा केरल में 200 लोगों की पाचन प्रणाली के नमूने लिये थे। ’’

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि भारतीय पाचन प्रणाली में जीवाणु के प्रीवोटेला प्रकार की अत्यधिक प्रचुरता है। यह कार्बोहाइड्रेट और फाइबर से परिपूर्ण आहार का उपभोग करने वाली इटली, मैडागास्कर, पेरू और तंजानिया जैसे देशेां की आबादी में भी अत्यधिक पाई गई। हालांकि अमेरिका जैसे देशो के लोगों में पाचन प्रणाली में बैक्टेरोइड्स ज्यादा पाया गया।

शर्मा ने बताया कि इस अध्ययन से गैर पश्चिमी देशों की आबादी के लिए जरूरी प्रोबायोटिक्स को विकसित करने में मदद मिलेगी।

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