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बिहार विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों ने नहीं रखा सबका साथ सबका विकास और ए टू जेड का ख्याल, राजद ने MY समीकरण पर जताया भरोसा

By एस पी सिन्हा | Updated: October 17, 2025 18:56 IST

वहीं, राजद ने टिकट वितरण में अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है, लेकिन किसी वर्ग की हिस्सेदारी शून्य नहीं की है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 21 राजपूत तो 15 भूमिहारों को टिकट दिया है।

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में दो प्रमुख गठबंधनों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची में सबका साथ सबका विकास के नारे की हो या ए टू जेड फार्मूले की चमक दिखाई नही दे रही है। भाजपा ने जहां "भूरा बाल "(भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ) पर एक बार फिर भरोसा जताया है, वहीं राजद की सूची में एमवाय(माय) समीकरण साफ तौर पर नजर आ रहा है। भाजपा ने अगड़ी जातियों को सबसे अधिक हिस्सेदारी दी है, लगभग 50 प्रतिशत सीटों पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। 

वहीं, राजद ने टिकट वितरण में अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है, लेकिन किसी वर्ग की हिस्सेदारी शून्य नहीं की है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 21 राजपूत तो 15 भूमिहारों को टिकट दिया है। तीसरे स्थान पर ब्राह्मण जाति है। पार्टी ने 11 ब्राह्मण जाति के नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। कायस्थ जाति की जहां तक बात है तो भाजपा ने दो कायस्थ समाज के लोगों को मैदान में उतारा है। भाजपा ने भी उम्मीदवारों के चयन में खूब रिश्तेदारी निभाई हैं। 101 की सूची में एक दर्जन से अधिक नाम ऐसे हैं जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं। 

इस मामले में बिहार की कोई राजनीतिक पार्टियां अपवाद नहीं रही है। भाजपा ने राघवेंद्र प्रताप सिंह को बरहरा से उम्मीदवार बनाया है, जो पांच बार के विधायक अंबिका शरण सिंह के पुत्र हैं। इसी तरह झंझारपुर से नीतीश मिश्रा को टिकट दिया है जो पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र हैं। इसी प्रकार पार्टी ने सुजीत कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है जिनकी पत्नी सर्वणा सिंह जनप्रतिनिधि रही हैं। इसके अलावा अरुण कुमार सिंह, संजीव चौरसिया, नितिन नवीन, राणा रणधीर, निशा सिंह और श्रेयसी सिंह आदि को उम्मीदवार बनाया है।

वहीं, राजद ने अब तक 84 से अधिक उम्मीदवारों को पार्टी सिम्बल दे दिया है। लालू यादव ने टिकट वितरण में अपने जनाधार वोट मुस्लिम और यादव का पूरा ख्याल रखा है। पार्टी ने 35 में से 18 यादवों को चुनावी मैदान में उतारा है। तीन मुस्लिम को भी उम्मीदवार बनाया है। एससी श्रेणी से चार को उम्मीदवार बनाया गया है। अति पिछड़ा समुदाय और सवर्ण से चार-चार प्रत्याशी बनाए गए हैं। 

जातिगत जनगणना पर हिस्सेदारी की बात करने वाले तेजस्वी यादव भी उम्मीदवार चयन में उन आंकड़ों का ध्यान नहीं रखा है। जनसंख्या के अनुपात में यादवों को टिकट तो मिला है, लेकिन दूसरी सबसे बड़ जाति कुशवाहा की हिस्सेदारी राजद के अंदर काफी कम देखी गई है। हालांकि राजद के उम्मीदवारों में परिवारवाद का बोलबाला है। बेलागंज से सुरेन्द्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को उम्मीदवार बना बनाया है।

वहीं, जमुई से चुनाव लड़ने वाली अर्चना कुमारी के पति मुंगेर से प्रत्याशी मुकेश यादव हैं। वहीं, रघुनाथपुर से चुनाव लड़ रहे ओसामा साहेब सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे हैं। हसनपुर से माला पुष्पम चुनाव लड़ रही हैं। उनके पति सुनील कुमार पुष्पम कई बार के विधायक रह चुके हैं। बनियापुर से चुनाव लड़ रहीं चांदनी सिंह पूर्व विधायक अशोक सिंह की पत्नी हैं। संदेश की मौजूदा विधायक किरण देवी के बेटे दीपू यादव को राजद ने टिकट दिया है।

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