राज्य सरकार से पुरस्कार पा कर खुश है ताड़ी निकालने का काम करने वाला
By भाषा | Updated: February 13, 2021 18:21 IST2021-02-13T18:21:36+5:302021-02-13T18:21:36+5:30

राज्य सरकार से पुरस्कार पा कर खुश है ताड़ी निकालने का काम करने वाला
वायनाड, 13 फरवरी केरल में पिछले 30 साल से ताड़ी निकालने का काम करने वाले टी एस मुरलीधरन राज्य सरकार से पुरस्कार पा कर खुश हैं । इस पुरस्कार की शुरूआत बेहतर श्रम संस्कृति के लिये की गयी थी ।
मुरलीधरन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार का यह एक स्वागत योग्य कदम है । मैं इसे मेरे काम के प्रति मेरी इमानदारी एवं निष्ठा को मिली पहचान के रूप में देखता हूं ।’’
मुरलीधरन असंगठित क्षेत्र के उन 15 श्रमिकों में शामिल है जिन्हें केरल सरकार की ओर से ‘थोझिलाली श्रेष्ठ’ पुरस्कार से नवाजा गया है ।
मनंतवाडी के रहने वाले, 58 साल के मुरलीधरन ने कहा कि वह संकट प्रभावित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्हें लगता है कि अब यह अधिक दिन तक चलने वाला नहीं है ।
ताड़ी निकालने का काम सामान्य तौर पर परंपरागत काम है और इससे जुड़े बहुत सारे लोग अब खाली बैठे हैं। इसके कई कारण है जिनमें रोगग्रस्त नारियल का पेड़, ताड़ी की दुकान लगाने पर प्रतिबंध और भारत में बनी विदेशी शराब को अधिक महत्व दिया जाना शामिल है ।
मुरलीधरन ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह क्षेत्र लंबे समय तक चलेगा क्योंकि भारत में बनी विदेशी शराब की उपलब्धता के कारण लोग ताड़ी पीने में बहुत अधिक रूचि नहीं दिखाते हैं ।’’
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि नयी पीढी यह काम नहीं करना चाहती क्योंकि इसमें जोखिम है।
मुरलीधरन दिन में दो शिफ्ट में काम करते हैं । वह करीब 10 पेड़ों पर चढ़ते हैं और लगभग 15 लीटर ताड़ी निकालते हैं ।
वह इस ताड़ी को स्थानीय दुकानों में 29.75 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं । इसके अलावा उन्हें महंगाई भत्ते के तौर पर 210 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं ।
मुरलीधरन कहते हैं कि वह अपने जीवन यापन के लिये इस परंपरागत काम से होने वाली कमाई पर ही निर्भर हैं।
सबसे खास बात यह है कि मुरलीधरन 30 साल से यह काम कर रहे हैं और उन्होंने कभी ताड़ी नहीं पी।
दो बच्चों के पिता मुरलीधरन कहते हैं ‘‘ इस पुरस्कार के लिये मेरे चयन से पहले सरकार ने मेरे चरित्र पर भी विचार किया होगा ।’’
वह आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के भी सदस्य हैं।
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