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Bihar chunav 2025: भाकपा-माले नेता की जिस दल के लोगों ने कर दी हत्या, पार्टी अब कर रही है उसके साथ गलबहियां

By एस पी सिन्हा | Updated: September 14, 2025 16:52 IST

सीवान में चंद्रशेखर का स्टैच्यू बना है, जिसकी रेलिंग लेफ्ट समेत दूसरी पार्टियों के बैनर और झंडे लगाने में इस्तेमाल हो रही है। ऐसे में चंद्रशेखर का परिवार पूछ रहा है कि क्या भाकपा-माले ने चंद्रशेखर की हत्या को भुला दिया? 

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले महागठबंधन में शामिल हो कर चुनावी ताल ठोकने को तैयार बैठी है। लेकिन इस दल के लिए शुरू से संघर्ष करने वाले लोगों का कहना है कि जिस दल के दिग्गज नेता ने सीवान में जुझारू साथी चंद्रशेखर को दिन दहाड़े गोलियों से छलनी कर दिया था, आज पार्टी के लोग उसी दल के साथ गलबहियां कर रहे हैं। ऐसे में चंद्रशेखर की शहादत का क्या होगा?

बता दें कि राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन अब दुनिया में नहीं हैं। लेकिन शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब और बेटे ओसामा राजद में है। भाकपा-माले और राजद महागठबंधन का हिस्सा है और साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं। सीवान में चंद्रशेखर का स्टैच्यू बना है, जिसकी रेलिंग लेफ्ट समेत दूसरी पार्टियों के बैनर और झंडे लगाने में इस्तेमाल हो रही है। ऐसे में चंद्रशेखर का परिवार पूछ रहा है कि क्या भाकपा-माले ने चंद्रशेखर की हत्या को भुला दिया? 

दरअसल, 31 मार्च 1997, शाम के 4 बजे सीवान के जेपी चौक पर नुक्कड़ सभा चल रही थी। नुक्कड़ सभा में बंद में शामिल होने की अपील की जा रही थी। तभी बाइक से कुछ बदमाश आए और एक ऑटो पर गोलियां बरसाने लगे। चीख-पुकार मची, नुक्कड़ सभा में आई भीड़ तितर-बितर हो गई। हमलावर अपना काम करके भाग गए। लोगों ने ऑटो के पास जाकर देखा, अंदर दो लाशें थीं। एक भाकपा -माले के जिला कमेटी मेंबर श्याम नारायण यादव की और दूसरी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के 2 बार अध्यक्ष रह चुके चंद्रशेखर की। 

चंद्रशेखर प्रसाद ‘चंदू’ लेफ्ट के नेता के तौर पर उभर रहे थे। हत्या का आरोप तब राजद के सांसद रहे शहाबुद्दीन पर लगा था। शहाबुद्दीन लालू के करीबियों में शामिल थे। उस वक्त सीवान में राजद और माले के बीच सीधा टकराव रहता था। पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भाकपा-माले और राजद में गठबंधन हुआ है। इसके बाद से चंद्रशेखर की हत्यारे कौन हैं, उनकी हत्या क्यों हुई? माले का कोई नेता इस पर बात नहीं करना चाहते। यहां तक कि चंद्रशेखर का मुद्दा भाकपा- माले के नेताओं ने खुद खत्म कर दिया है। 

ऐसे में चंद्रशेखर के भतीजे सुभाष सिंह कहते हैं कि माले विचारधारा के लिए राजद से लड़ रही थी। उसी विचारधारा की वजह से चंद्रशेखर की हत्या हुई। आज वे जिंदा होते, तो राष्ट्रीय नेता के रूप में खड़े होते। उन्हें हर दल के लोग याद करते हैं। लेकिन माले आज सत्ता की लिए राजद की गोद में बैठ गई है, जिनके खिलाफ चंद्रशेखर ने जान दी थी। अमरजीत कुशवाहा, अमर यादव और सत्यदेव राम जैसे नेता चंद्रशेखर के साथ थे। आज वही राजद और शहाबुद्दीन का गुणगान कर रहे हैं। यह चंद्रशेखर की शहादत का अपमान है। 

उन्होंने कहा कि चंद्रशेखर के हत्यारे राजद से ही जुड़े थे। उन्हीं के संरक्षण में काम कर रहे थे। चंद्रशेखर के नाम पर की जाने वाली राजनीति विशेष जाति तक सिमटकर रह गई है। यही वजह है कि इन नेताओं की साख धीरे-धीरे खत्म हो रही है। 

वहीं, इस संबंध में भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि देश में जैसे हालात बने, उस वजह से गठबंधन किया। हमारी लड़ाई किसी विशेष पार्टी और व्यक्ति से नहीं थी। हमारी लड़ाई विचारधारा की थी। आज देश में जैसी स्थिति बनी है, उसी वजह से हमारा राजद से गठबंधन है।

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