भाजपा ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के दोषियों को फांसी देने में ‘‘विलंब’’ के लिए आप सरकार की ‘‘लापरवाही’’ को बृहस्पतिवार को जिम्मेदार ठहराया।
कहा कि इस मामले में मौत की सजा के खिलाफ दोषियों की याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा 2017 में खारिज किए जाने के ढाई साल बाद भी दिल्ली सरकार ने उन लोगों को नोटिस नहीं भेजा। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के एक हफ्ते के भीतर सभी दोषियों को अगर आप सरकार ने नोटिस दे दिया होता तो अब तक उन्हें फांसी हो चुकी होती और देश को इंसाफ मिल चुका होता।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बुधवार को निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाए चार दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की और उसे ‘‘बिजली की गति’’ से उपराज्यपाल के पास भेज दिया।
दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को यह भी सूचित किया कि दोषियों को 22 जनवरी को फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा क्योंकि उनमें से एक मुकेश ने दया याचिका दायर की है। चारों दोषियों मुकेश (32), विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31) और पवन गुप्ता (25) को तिहाड़ जेल में 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी। चारों दोषियों को सुनाई गई मौत की सजा पर अमल के लिए दिल्ली की एक अदालत ने सात जनवरी को आदेश जारी किया था।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आप सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के दोषियों को फांसी देने में देरी का कारण ‘आप’ सरकार की लापरवाही है। जावड़ेकर ने कहा कि निर्भया मामले में मौत की सजा के खिलाफ दोषियों की याचिका को उच्चतम न्यायालय द्वारा 2017 में खारिज किए जाने के ढाई साल बाद भी दिल्ली सरकार ने उन लोगों को नोटिस नहीं भेजा। निर्भया केस में दोषियों की फांसी में देरी को लेकर प्रकाश जावडेकर ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा- 'दोषियों की फांसी में देरी दिल्ली सरकार की वजह से हुई।'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार ने दोषियों को वक्त पर नोटिस दिया होता तो उनके अपील के सारे अधिकार अब तक खत्म होकर कहीं पहले ही उन्हें फांसी हो गई होती। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद उन्हें वक्त पर नोटिस के क्यों नहीं दिया गया?
लेकिन उन्हें ये नोटिस 2.5 साल तक दी ही नहीं गयी, ये देरी उन अपराधियों से दिल्ली सरकार की सहानुभूति को दर्शाती है। उच्चतम न्यायालय ने उनकी अपील 2017 में ही खारिज कर दी थी और उन्हें फांसी की सजा दी थी।
लेकिन एक प्रक्रिया के तहत तिहाड़ जेल प्रशासन दोषियों को एक नोटिस देता है कि अब आपको कोई दया याचिका या अपील दाख़िल करनी है तो कर लो, अन्यथा फांसी हो जाएगी। देश को झकझोरने वाले निर्भया केस के आरोपी आज तक फांसी पर नहीं लटके, इसका एकमात्र कारण दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही है।