ब्रहमपुर (ओडिशा), 15 अक्टूबर ओडिशा के गंजम जिले के ब्रहमपुर शहर में राज्य के कुछ तेलुगू समुदाय के लोगों ने लुप्त होती ‘बोम्माला कोलुवु’ परम्परा का पालन किया, जबकि राज्य के अधिकतर हिस्सों में कोविड-19 संबंधी पाबंदियों के कारण जश्न को सीमित ही रखा गया।
‘बोम्माला कोलुवु’, भारत में शरद ऋतु में मनाया जाने वाला गुड़ियों तथा मूर्तियों का उत्सव है। इसे नवरात्रि के पहले दिन से दशहरे तक मनाया जाता है।
कुछ समय पहले तक, दक्षिणी ओडिशा के इस शहर में बड़ी संख्या में तेलुगू समुदाय के लोग इसे मनाते थे, लेकिन अब यह परम्परा धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है क्योंकि इन परिवारों के अधिकतर बच्चे पढ़ाई या नौकरी के लिए राज्य से बाहर हैं।
जे. सैलजा ने कहा, ‘‘ हम नौ दिवसीय उत्सव के दौरान विभिन्न राज्यों और धर्मों की गुड़ियां सजाते हैं, जिनमें से अधिकतर देवताओं की या पारंपरिक मूर्तियां होती हैं। ’’
सैलजा को करीब 1200 मूर्तियां सजाने में दो-तीन दिन लगे, जिसे अपने पति डॉ. जे नारायण राव की मदद से उन्होंने घर में सजाया है।
सैलजा के पति ने कहा, ‘‘ कोई भी मूर्ति प्लास्टिक की नहीं है। इनमें से अधिकतर मूर्तियां, लकड़ी, कपड़ों, पीतल और चांदी की बनी है। इनमें से कई पीढ़ियों से चली आ रही हैं, जबकि हमने कई दूसरे राज्यों और देशों से खरीदी हैं।’’
उन्होंने कहा कि उनका परिवार कुछ वर्षों के अंतराल में पिछले तीन साल से अपने घर में इस परम्परा को मना रहे हैं।
इसी तरह, 50 वर्षीय एम पद्मावती ने भी अपने ब्रजनगर स्थित घर में कृष्ण लीला, गिरि गोवर्धन, योगासन और सूर्य नमस्कार विषयों पर आधारित विभिन्न गुड़ियाएं सजाईं। बाजार से कुछ मुर्तियां खरीदने के अलावा, उन्होंने इस साल लॉकडाउन में मिट्टी और कपड़े का उपयोग करके लगभग 50 गुड़िया बनाई।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।