तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 40 फीसदी सीटों पर मुस्लिम मतदाता, ये बनें 'किंगमेकर' तो TRS को होगा फायदा!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 3, 2018 08:36 AM2018-11-03T08:36:54+5:302018-11-03T08:36:54+5:30

राजनीतिक विशेषज्ञ मीर अयूब अली खान ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि  एमआईएम और इसके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का राज्य में मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है, जिसका अब सीधा फायदा तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को मिल सकता है।

Telangana election 2018: Muslims hold key to 40% assembly seats, TRS gets benefits | तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 40 फीसदी सीटों पर मुस्लिम मतदाता, ये बनें 'किंगमेकर' तो TRS को होगा फायदा!

तेलंगाना विधानसभा चुनाव: 40 फीसदी सीटों पर मुस्लिम मतदाता, ये बनें 'किंगमेकर' तो TRS को होगा फायदा!

तेलंगाना में मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में रहेंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक राज्य में होने वाले 119 सीटों पर कम से कम 40 प्रतिशत उम्मीदवारों का मुस्लिम मतदाता के हाथ में है। राज्य में तकरीबन 12.7 प्रतिशत मुस्लिम अबादी है। 

तेलंगाना सामाजिक विकास रिपोर्ट 2017( Telangana Social Development Report- 2017) के मुताबिक हैदराबाद में ही सिर्फ 1.73 मिलियन मुस्लिम रहते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूं तो तेलंगाना के लगभग सभी जिलों में मुस्लिम वोटर्स रहते हैं लेकिन सबसे ज्यादा हैदराबाद, मेडक, निजामाबाद, करीमनगर रंगारेड्डी, महबूबनगर और नलगोंडा में रहते हैं। 

तेलंगाना की 119 विधान सभा सीटों के लिए सात दिसंबर को मतदान होगा। मतगणना 11 दिसंबर को होगी और उसी शाम चुनाव नतीजे आ जाएंगे। 

राज्य में मुस्लिम आबादी 43.5 फीसदी 

हैदाराबाद में ही देखा जाए तो  1.73 मिलियन मुस्लिम रहते हैं, इसके मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर(हैदराबाद)  का चौथाई हिस्सा और राज्य की मुस्लिम आबादी का 43.5 फीसदी हिस्सा बनता है। यानी कि हैदराबाद में 24 विधानसभा सीट है, जिसके 10 सीटों का फैसला तो मुस्लिम मतदाता के वोट पर ही बहुत हद तक आधारित होगा 

हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक, हैदराबाद के ज्यादातर मुस्लिम पुराने शहर में रहते हैं। हैदराबाद के पुराने शहर में कई सालों से एमआईएम (Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) का प्रभुत्व रहा है।  एमआईएम कई सालों से लगातार हैदराबाद के पुराने शहर के सातों विधान सभा सीटों पर जीतती आ रही है। 

एमआईएम ये कभी नहीं चाहती थी कि आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग हो जाए। 2014 में तेलंगाना विभाजन के पहले एमआईएम इसके कट्टर विरोधी थी। एमआईएम  को इस बात का हमेशा से डर था कि हिंदू वोटर्स की वजह से तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) मजबूत होगी। लेकिन ऐसा देखने को मिला नहीं, खैर इस बार बीजेपी तेलंगाना में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी है। हालांकि तेलंगाना बनने के बाद सबसे ज्यादा फायदा के चन्द्रशेख राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को हुआ। 

इस तरह से मिलेगा के चन्द्रशेख राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को फायदा 

सितंबर 2018 में खुद  एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने राज्य के मतदाताओं से अपील की थी कि वो  हैदराबाद के बाहर निर्वाचन क्षेत्रों में के चन्द्रशेख राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को वोट करने की अपील की, जहां ओवैसी की पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। जिसमें असीफाबाद, महबूबनगर और मेडक विधान सभा सीट शामिल है। 

राजनीतिक विशेषज्ञ मीर अयूब अली खान ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि  एमआईएम और इसके अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का राज्य में मुस्लिम मतदाताओं पर मजबूत पकड़ है, जिसका अब सीधा फायदा तेलंगाना राष्ट्र समिति( टीआरएस) को मिल सकता है। जिससे वह कांग्रेस, टीटीपी, भाकपा के गठबंधन पर बढ़त बना पाएंगे। 

के चन्द्रशेख राव के बेटे और राज्य आईटी मंत्री केटी राम राव ने कहा है, ''मुसलमान टीआरएस सरकार के दौरान सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। तेलंगाना में सांप्रदायिक हिंसा का एक भी उदाहरण नहीं था। हैदराबाद के पुराने शहर जिसमें कांग्रेस शासन के दौरान नियमित रूप से कर्फ्यू  लगते थे, अब शांतिपूर्ण है। मुस्लिम टीआरएस से खुश हैं। ''

मीर अयूब अली खान के मुताबिक, मुस्लिम मतदाताओं के बीच टीआरएस के लिए एक बड़ा फायदा यह है कि मुख्यमंत्री राव को समुदाय के अनुकूल माना जाता है और उर्दू में धाराप्रवाह है। इसके अलावा मीर अयूब अली खान ने कहा है कि मुख्यमंत्री राव के द्वारा 200 आवासीय विद्यालयों और कॉलेजों की स्थापना करना, जो विशेष रूप से मुस्लिमों के लिए की है, जहां उन्हें 12 वीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा, भोजन और कपड़े दिए जाते हैं, इस चुनाव में ये फैक्टर भी साथ देगा। 

तेलंगाना में चुनाव की तारीख 

तेलंगाना में 119 सीटों पर 7 दिसंबर 2018 को विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। 12 नवंबर, 2018 को नोटिफिकेशन जारी होगा। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 19 नवंबर होगी। नाम वापसी 22 नवंबर तक होगी। चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे।  

राज्य में आचार संहिता लागू है। चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी उम्मीदवार को चुनाव आयोग ने 28 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति दी है। इससे पहले तेलंगाना में मई 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इनका कार्यकाल जुलाई 2019 तक था। लेकिन उन्होंने राज्य में महौल को देखते हुए करीब आठ से नौ महीने पहले ही अपनी विधानसभा भंग दी थी। ताकि राज्य में जल्दी चुनाव कराए जा सके। चुनाव आयोग ने उसी परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए तेलंगाना चुनाव का ऐलान किया है।

English summary :
In upcoming Telangana Assembly Elections, Muslim voters will be playing the major role. According to political experts, in the 119 assembly seats in the Telangana state, at least 40 percent of the candidates future are in the hands of the Muslim voter. There are about 12.7 percent Muslim population in the state. According to Telangana Social Development Report 2017, only 1.73 million Muslims lives in Hyderabad.


Web Title: Telangana election 2018: Muslims hold key to 40% assembly seats, TRS gets benefits

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