हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 में सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद जा रही है। हालांकि साल 2018 के चुनाव में तत्कालीन तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की आंधी में विपक्षी दल कांग्रेस धराशायी हो गई थी।
दरअसल आज केंद्रीय चुनाव आयोग छत्तीसगढ़ के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के तारीख का ऐलान करेगा। खबरों के मुताबिक चुनाव आयोग न केवल तेलंगाना की 119 सीटों बल्कि मध्य प्रदेश की 230 सीटों, राजस्थान की 200 सीटों, छत्तीसगढ़ की 90 सीटों और मिजोरम की 40 विधानसभा सीटों पर 15 नवंबर से 7 दिसंबर के बीच में मतदान करा सकती है।
अगर हम तेलंगाना विधानसभा चुनाव की बात करें तो साल 2018 में पिछले विधानसभा चुनाव में टीआरएस को कुल 119 सीटों में से 88 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस के खाते में महज 19 सीटों आयी थीं। इसके अलावा तेलंगाना और देश की सियासत में खासा दखल रखने वाले असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को महज 7 सीटें मिली थीं। भाजपा को 1 सीट और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी को 2 सीटें मिली थीं।
बीआरएस की उस जीत के साथ पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने नाम एक और दिलचस्प रिकॉर्ड है कि वो साल 1985 से अभी तक कोई भी चुनाव नहीं हारे हैं। गजवेल विधानसभा सीट केसीआर की पारंपरिक सीट मानी जाती है।
केसीआर ने अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर साल 2001 में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगू देशम पार्टी से अलग होकर टीआरएस पार्टी का गठन था, जिसे उन्होंने पिछले साल बीआरएस के नाम से कर दिया था। केसीआर करीमनगर से तीन बार और महबूबनगर सीट से एक बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
तेलंगाना में इस बार के विधानसभा चुनाव बेहद चौंकाने वाले हो सकते हैं क्योंकि सूबे की सियासत हाल ही में पीएम मोदी के दिये बयान से गर्मा गई है। पीएम मोदी ने एक जनसभा में दावा किया कि मुख्यमंत्री केसीआर ने उनसे कहा था कि वो एनडीए में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने केसीआर के एनडीए में शामिल करने से मना कर दिया था।
वहीं इस मामले में बीआरएस ने पीएम मोदी पर गलत बयानी करने का आरोप लगाया है। इस बीच कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी बेहद सक्रिय हैं और वो राज्य कांग्रेस के प्रमुख रेवंत रेड्डी के साथ मिलकर सियासी गोटी बिछाने में लगी हुई हैं।
इस बीच तेलंगाना सरकार में मंत्री केटीआर ने आरोप लगाया कि तेलंगाना कांग्रेस चीफ रेवंत रेड्डी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंट हैं। कुल मिलाकर इस बार के विधानसभा चुनाव में असल परीक्षा मुख्यमंत्री केसीआर की है। देखना यह होगा कि तेलंगाना की जनता उन्हें एक और टर्म के लिए जनादेश देती है या फिर वो कांग्रेस या भाजपा की ओर रूख करती है।